Durga Stuti | Mahagauri Mantra (Ashtami) | Day Eight Mantra of Navratri(Devi stotra.126)
http://youtu.be/NVu7iJn89N0
Navratri Day 8
Ashtami
8
The Eighth Durga is "Maha Gauri." Her complexion is
white. Her garments are also white. She is mounted on a white bull and
has four hands. Her top right hand is rendering fearlessness and the
hand below holds a trident. The top left hand holds a "Damru" and the
hand below is in a gesture of giving boons.
She has extremely fair complexion and therefore Maa is compared with the conch, the moon and the white flower of Kunda. Radiant and compassionate,She is also known as Shwetambardhara. Maa Mahagauri purifies the souls of Her devotees and removes all their sins. She has a calming effect on the lives of Her devotees and she also helps them improve their knowledge.
Worship Maa Mahagauri to be free from the clutches of the material world and to remove sorrows from your life, for She will lead you to the path of virtue and inner power.
Chant this mantra to worship Maa Mahagauri
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः |
महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददा ||
Shwete Veshe Samarudha Shwetambardhara Shuchih
Mahagauri Shubham Dadyanmahadevapramodada
मां
दुर्गा का आठवां रूप महागौरी व्यक्ति के भीतर पल रहे कुत्सित व मलिन
विचारों को समाप्त कर प्रज्ञा व ज्ञान की ज्योति जलाता है। मां का ध्यान
करने से व्यक्ति को आत्मिक ज्ञान की अनुभूति होती है उसके भीतर श्रद्धा
विश्वास व निष्ठ की भावना बढ़ाता है। मां दुर्गा की अष्टम शक्ति
है महागौरी जिसकी आराधना से उसके पुत्रों (भक्तों) को जीवन की सही राह का
ज्ञान होता है जिस पर चलकर वह अपने जीवन का सार्थक बना सकता है। नवरात्र
में मां के इस रूप की आराधना व्यक्ति के समस्त पापों का नाश करती है। व्रत
रहकर मां का पूजन कर उसे भोग लगाएं तथा उसके बाद मां का प्रसाद ग्रहण करे
जिससे व्यक्ति के भीतर के दुराभाव दूर होते हैं।
नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की आराधना की जाती है। आज के दिन मां की स्तुति से समस्त पापों का नाश होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां ने कठिन तप कर गौरवर्ण प्राप्त किया था। मां की उत्पत्ति के समय इनकी आयु आठ वर्ष की थी जिस कारण इनका पूजन अष्टमी को किया जाता है। मां अपने भक्तों के लिए अन्नपूर्णा स्वरूप है। आज ही के दिन कन्याओं के पूजन का विधान है। मां धन वैभव, सुख शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं।
मां का स्वरूप ब्राह्मण को उज्जवल करने वाला तथा शंख, चन्द्र व कुंद के फूल के समान उज्जवल है। मां वृषभवाहिनी (बैल) शांति स्वरूपा है। कहा जाता है कि मां ने शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया जिसके बाद उनका शरीर मिटटी ढक गया। आखिरकार भगवान महादेव उन पर प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी होने का आर्शीवाद प्रदान किया। भगवान शंकर ने इनके शरीर को गंगाजल से धोया जिसके बाद मां गौरी का शरीर विद्युत के समान गौर व दैदीप्यमान हो गया। इसी कारण इनका नाम महागौरी पड़ा।
मां संगीत व गायन से प्रसन्न होती है तथा इनके पूजन में संगीत अवश्य होता है। कहा जाता है कि आज के दिन मां की आराधना सच्चे मन से होता तथा मां के स्वरूप में ही पृथ्वी पर आयी कन्याओं को भोजन करा उनका आर्शीवाद लेने से मां अपने भक्तों को आर्शीवाद अवश्य देती है। हिन्दू धर्म में अष्टiमी के दिन कन्याओं को भोजन कराए जाने की परम्परा है।
ध्यान मंत्र
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेतांबरधरा शुचि।
महागौरी शुभे दद्यान्महादेव प्रमोददा।।
She has extremely fair complexion and therefore Maa is compared with the conch, the moon and the white flower of Kunda. Radiant and compassionate,She is also known as Shwetambardhara. Maa Mahagauri purifies the souls of Her devotees and removes all their sins. She has a calming effect on the lives of Her devotees and she also helps them improve their knowledge.
Worship Maa Mahagauri to be free from the clutches of the material world and to remove sorrows from your life, for She will lead you to the path of virtue and inner power.
Chant this mantra to worship Maa Mahagauri
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः |
महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददा ||
Shwete Veshe Samarudha Shwetambardhara Shuchih
Mahagauri Shubham Dadyanmahadevapramodada
=
नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की आराधना की जाती है। आज के दिन मां की स्तुति से समस्त पापों का नाश होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां ने कठिन तप कर गौरवर्ण प्राप्त किया था। मां की उत्पत्ति के समय इनकी आयु आठ वर्ष की थी जिस कारण इनका पूजन अष्टमी को किया जाता है। मां अपने भक्तों के लिए अन्नपूर्णा स्वरूप है। आज ही के दिन कन्याओं के पूजन का विधान है। मां धन वैभव, सुख शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं।
मां का स्वरूप ब्राह्मण को उज्जवल करने वाला तथा शंख, चन्द्र व कुंद के फूल के समान उज्जवल है। मां वृषभवाहिनी (बैल) शांति स्वरूपा है। कहा जाता है कि मां ने शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया जिसके बाद उनका शरीर मिटटी ढक गया। आखिरकार भगवान महादेव उन पर प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी होने का आर्शीवाद प्रदान किया। भगवान शंकर ने इनके शरीर को गंगाजल से धोया जिसके बाद मां गौरी का शरीर विद्युत के समान गौर व दैदीप्यमान हो गया। इसी कारण इनका नाम महागौरी पड़ा।
मां संगीत व गायन से प्रसन्न होती है तथा इनके पूजन में संगीत अवश्य होता है। कहा जाता है कि आज के दिन मां की आराधना सच्चे मन से होता तथा मां के स्वरूप में ही पृथ्वी पर आयी कन्याओं को भोजन करा उनका आर्शीवाद लेने से मां अपने भक्तों को आर्शीवाद अवश्य देती है। हिन्दू धर्म में अष्टiमी के दिन कन्याओं को भोजन कराए जाने की परम्परा है।
ध्यान मंत्र
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेतांबरधरा शुचि।
महागौरी शुभे दद्यान्महादेव प्रमोददा।।
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