Followers
Wednesday, February 22, 2017
Durga Stuti | Chandraghanta Mantra (Tritiya) | Day Three Mantra of Navratri(Devi stotra.121)
Durga Stuti | Chandraghanta Mantra (Tritiya) | Day Three Mantra of Navratri(Devi stotra.121)Durga Stuti | Chandraghanta Mantra (Tritiya) | Day Three Mantra of Navratri(Devi stotra.121)
http://youtu.be/2pPmK-8zqm4
Chandraghanta
Worshipped on the 3rd night this Durga Shakti is astride a tiger. She has a half moon (Chandra) in the shape of a bell(ghanta) on her forehead, therefore she is called Devi Chandraghanta She possesses ten hands and 3 eyes. Eight of her hands display weapons while the remaining two are respectively in the mudras of gestures of boon giving and stopping harm. Chandra + Ghanta, meaning supreme bliss and knowledge, showering peace and serenity, like cool breeze in a moonlit night.
Pindajapravararudha Chandakopastrakairyuta
Prasadam Tanute Mahyam Chandraganteti Vishruta
.
" पिण्डज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्र घंष्टेति विश्रुता || "
Navratri Day 3 Tritiya
Sindoor Tritiya
Chandraghanta PujaPanchang for Sindoor Tritiya Day
Navratri color of the day -
RED
पिण्डज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्र घंष्टेति विश्रुता ||
नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा-वंदना इस मंत्र के द्वारा की जाती है-
मां दुर्गा की 9 शक्तियों की तीसरी स्वरूपा भगवती चंद्रघंटा की पूजा नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है. माता के माथे पर घंटे आकार का अर्धचन्द्र है, जिस कारण इन्हें चन्द्रघंटा कहा जाता है. इनका रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है. इनका वाहन सिंह है और इनके दस हाथ हैं जो की विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित रहते हैं. सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए उद्धत दिखता है और उनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर और राक्षस भयभीत करते हैं. भगवती चंद्रघंटा की उपासना करने से उपासक आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करता है और जो श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक दुर्गा सप्तसती का पाठ करता है, वह संसार में यश, कीर्ति एवं सम्मान को प्राप्त करता है. माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना भक्तो को सभी जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्त कर इसलोक और परलोक में कल्याण प्रदान करती है और भगवती अपने दोनों हाथो से साधकों को चिरायु, सुख सम्पदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं. मनुष्य को निरंतर माता चंद्रघंटा के पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयास करना चाहिए और इस दिन महिलाओं को घर पर बुलाकर आदर सम्मान पूर्वक उन्हें भोजन कराना चाहिए और कलश या मंदिर की घंटी उन्हें भेंट स्वरुप प्रदान करना चाहिए. इससे भक्त पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है
uesday)
Chandraghanta
Worshipped on the 3rd night this Durga Shakti is
astride a tiger. She has a half moon (Chandra) in the shape of a
bell(ghanta) on her forehead, therefore she is called Devi Chandraghanta
She possesses ten hands and 3 eyes. Eight of her hands display weapons
while the remaining two are respectively in the mudras of gestures of
boon giving and stopping harm. Chandra + Ghanta, meaning supreme bliss
and knowledge, showering peace and serenity, like cool breeze in a
moonlit night.
Pindajapravararudha Chandakopastrakairyuta
Prasadam Tanute Mahyam Chandraganteti Vishruta
.
" पिण्डज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्र घंष्टेति विश्रुता || "
Navratri Day 3
Tritiya
Sindoor Tritiya
Chandraghanta Puja
Chandraghanta Puja
पिण्डज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्र घंष्टेति विश्रुता ||
नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा-वंदना इस मंत्र के द्वारा की जाती है-
मां
दुर्गा की 9 शक्तियों की तीसरी स्वरूपा भगवती चंद्रघंटा की पूजा नवरात्र
के तीसरे दिन की जाती है. माता के माथे पर घंटे आकार का अर्धचन्द्र है, जिस
कारण इन्हें चन्द्रघंटा कहा जाता है. इनका रूप परम शांतिदायक और
कल्याणकारी है. माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है. इनका वाहन सिंह है
और इनके दस हाथ हैं जो की विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित रहते
हैं. सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए उद्धत दिखता है और
उनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर और राक्षस भयभीत करते हैं. भगवती
चंद्रघंटा की उपासना करने से उपासक आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त
करता है और जो श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक दुर्गा सप्तसती
का पाठ करता है, वह संसार में यश, कीर्ति एवं सम्मान को प्राप्त करता है.
माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना भक्तो को सभी जन्मों के कष्टों और पापों से
मुक्त कर इसलोक और परलोक में कल्याण प्रदान करती है और भगवती अपने दोनों
हाथो से साधकों को चिरायु, सुख सम्पदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान
देती हैं. मनुष्य को निरंतर माता चंद्रघंटा के पवित्र विग्रह को ध्यान में
रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयास करना चाहिए और इस दिन महिलाओं
को घर पर बुलाकर आदर सम्मान पूर्वक उन्हें भोजन कराना चाहिए और कलश या
मंदिर की घंटी उन्हें भेंट स्वरुप प्रदान करना चाहिए. इससे भक्त पर सदा
भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment