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Wednesday, February 22, 2017

Durga Stuti | Kalratri Mantra (Saptami) | Day Seven Mantra of Navratri(Devi stotra.125)

Durga Stuti | Kalratri Mantra (Saptami) | Day Seven Mantra of Navratri(Devi stotra.125)

 

 http://youtu.be/kEiKl-oguEA

 


7
5th

Kalratri
Her complexion is as dark as the night. Her cascading hair are loose and she is seen wearing a garland that radiates light as bright as lightning. She is fearsome with her menacing three eyes radiating fire. She is mounted on an ass. She has four hands, of which, the top right hand is in a gesture of rendering boon to all. The other hand on her right is rendering fearlessness. The top left hand is holding an iron dagger and the other hand is holding a sickle. Although she has a menacing appearance, she always delivers favorable results. So she is also called "Shubhankari".
The destroyer of darkness and ignorance, Mata Kaalratri is the seventh form of Nav-Durga meaning enemy of darkness.

Ekveni Japakarnapoora Nagna Kharasthita
Lamboshthi Karnikakarni Tailabhyaktasharirini
Vampadollasallohalatakantakabhooshna
Vardhanmoordhwaja Krishna Kalratrirbhayankari
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देवीकालरात्रि
 एकवेणी जपाकर्णपूर नग्ना खरास्थिता ।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा ।
वर्धनमूर्ध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी ॥

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MAHASTAMI PUJA AT PITHA

नवरात्र का सातवां दिन मां कालरात्रि का दिन होता है। मां के इस सातवें स्वरूप की आराधना व्यक्ति के भीतर की तामसी शक्तियों का नाश करती है। तामसी प्रवृत्तियों की समाप्ति के साथ ही व्यक्ति के भीतर कल्याणकारी गुणों का प्रादुर्भाव करता है। मां का यह रूप वर्ण रात्रि के गहन अंधकार की तरह काला है। उनके गले में बिजली की भांति चमकने वाली माला है जो ब्राह्मण्ड की तरह गोल है। इस माला में हर पल एक ज्योति जलती रहती है जो मानव जीवन का सही राह दिखाती है। मां कालरात्रि दुर्गा माता का सांतवा रूप है। मां शक्ति का यह रूप अपने भक्तों को बुरे कर्मो से दूर रहकर अच्छे व सदगुणों के निकट ले जाता है। कहा जाता है कि नवरात्र के सातवें दिन जो भी व्यक्ति सच्चे हृदय से मां की आराधना करता है उसके भीतर के सभी बुरी व तामसी शक्तियां नष्ट हो जाती हैं। मां अपने भक्तों को विपत्तियों व कठिनाइयों से जूझने की क्षमता प्रदान करती है तथा वास्तविक व ईश्वरीय सुख की अनुभूति कराती है। मां का यह रूप देखने में भयावह लगता है जो व्यक्ति के भीतर एक डर भी पैदा करता है लेकिन यह डर उसे अच्छे व सदकर्मों की ओर ले जाता है। यह रूप सदैव शुभ फल देताहै। मां के इस स्वरूप को शुभंकरी भी कहा जाता है। कालरात्रि दुष्टों व शत्रुओं का संहार करती है। काले रंग वाली केशों का फैला कर रखने वाली चार भुजाओं वाली दुर्गा का यह वर्ण और वेश में अद्र्धनारीश्वर शिव की तांडव मुद्रा में नजर आती है। मां की आखों से अग्नि की वर्षा होती है। एक हाथ में दुष्टों की गर्दन तथा दूसरे हाथ में खड्ग लिए मां कालरात्रि पापियों का नाश कर रही है। मां की सवारी गधर्व यानि गधा है जो समस्त जीव जन्तुओं में सबसे परिश्रमी है। मां का यह स्वरूप भक्तों का आर्शीवाद देता है कि व्यक्ति अपने योग्यता व क्षमता का सदुपयोग करता हुआ अपने आवश्यकताओं की पूर्ति करे और अपने परिजनों व अन्य सगे सम्बन्धियों का भला करता चले। ध्याम मंत्र करालरूपा कालाब्जसमानाकृति विग्रहा। कालरात्रि: शुभु दद्यात देवी चंडाट्टहासिनी॥ दे

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