The 4th night begins the
worship of Meri Maiya Kushmanda, possessed of eight arms, holding
weapons and a mala or rosary. Her aura and illumination of body is like
Sun itself. She illuminates all the ten directions. All the bodies and
beings of Universe derive power from her. As has eight arms, so she is
also known as Ashtbhuja Devi (meaning Devi with eight arms). Seven of
which are holding different types of weapons and a Rosary is in her
right hand. She seems brilliant riding on a Lion.
Surasampoornakalasham Rudhiraplutmev Cha Dadhana Hastpadmabhyam Kushmanda Shubhdastu Me
देवी कूष्माण्डा सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च । दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
Navratri Day 4
भगवती माँ दुर्गा जी के चौथे स्वरुप का नाम कूष्मांडा है ! अपनी मंद हल्की
हसीं द्वारा अंड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें
कुष्मांडा देवी के नाम से अभिहित किया गया है ! जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं
था , चारों ओर अन्धकार ही अंधकार व्याप्त था, तब माँ कुष्मांडा ने ही अपनी
हास्य से ब्रह्माण्ड कि रचना की थी ! अतः यही सृष्टि की आदि - स्वरूपा आदि
शक्ति है ! इनके पूर्व ब्रह्माण्ड का अस्तित्व था ही नहीं ! इनका निवास
सूर्य मंडल के भीतर के लोक में है ! सूर्य लोक में निवास सूर्य मंडल के
भीतर के लोक में है ! सूर्य लोक में निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल
इन्ही में है ! इनके शरीर की कान्ति और प्रभा भी सूर्य के समान ही
दीप्तिमान और भास्कर है ! इनके तेज की तुलना इन्ही से की जा सकती है ! अन्य
कोई भी देवी - देवता इनके तेज और प्रभाव की समता नहीं कर सकते ! इन्ही के
तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही है ! ब्रह्माण्ड की सभी
वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्ही की छाया है ! इनकी आठ भुजाएं
है ! अतः ये अष ्ट भुजी देवी के नाम से भी विख्यात है ! इनके सात हाथो
में क्रमशः कमण्डलु , धनुष - बाण , कमल पुष्प , अमृत पूर्ण कलश , चक्र ,
तथा गदा है ! आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला
है ! इनका वाहन सिंह है ! इस कारण से भी कुष्मांडा कही जाती है ! नवरात्री -
पूजन के चौथे दिन कुष्मांडा देवी के स्वरुप की ही पूजा उपासना की जाती है !
इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में अवस्थित होता है ! अतः इस दिन उसे
अत्यंत पवित्र और अचल मन से कुष्मांडा देवी के स्वरुप को ध्यान में रख कर
पूजा उपासना के कार्य में लगना चाहिए ! माँ कुष्मांडा की उपासना से भक्तों
के समस्त रोग - शोक विनष्ट हो जाते है ! इनकी भक्ति से आयु , यश , बल , और
आरोग्य की वृद्धि होती है ! माँ कुष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से भी
प्रसन्न होने वाली है ! यदि मनुष्य सच्चे ह्रदय से इनका शरणागत बन जाये तो
फिर उसे अत्यंत सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है ! हमे चाहिए की हम
वेद पुराणों में वर्णित विधि - विधान पूर्वक माँ दुर्गा की पूजा - उपासना
और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर हो ! माँ के भक्ति मार्ग पर कुछ ही कदम आगे
बढ़ने पर भक्त साधक को उनकी कृपा का सुक्ष्म अनुभव होने लगता है ! यह दुःख
स्वरुप संसार उसके लिए अत्यंत सुखद और सुगम बन जाता है ! माँ की उपासना
मनुष्य को सहज भाव से भवसागर से पार उतारने के लिए सर्वाधिक सुगम व्
श्रेयस्कर मार्ग है ! माता की उपासना मनुष्य को आँधियों - व्याधियों से
सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख - समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है !
माँ कुष्मांडा देवी के श्री चरणों में सत सत नमन !
jai kashmunda devi mata
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