Durga Saptashati - Navratri Puja -BRAHAMACHARINI Mantra 2(Devi stotra.120)
http://youtu.be/nES8gafWsbw
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Navadurga form of Brahmacharini has mala in right hand & eathern pot in left hand.
She took birth as a daughter of Himalaya & was married to Lord Shiva. She penance hardly to gain Lord Shiva in that she ate only fruits & roots for 1000 yrs. , 100 yrs. she ate only veg. & some days without eating under the open sky bearing rain & heat. After that 3000 yrs. she ate leaves fallen on land & atleast for thousands of yrs. without eating even leaves she penance so she was called 'Aparna'.
देवी ब्रह्मचारिणी
दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
=
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना
मां दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी जिसका दिव्य स्वरूप व्यक्ति के भीतर सात्विक वृत्तियों के अभिवर्दन को प्रेरित करता है। मां ब्रह्मचारिणी को सभी विधाओं का ज्ञाता माना जाता है। मां के इस रूप की आराधना से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार व संयम जैसे गुणों वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली। मां के इस दिव्य स्वरूप का पूजन करने मात्र से ही भक्तों में आलस्य, अंहकार, लोभ, असत्य, स्वार्थपरता व ईष्र्या जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर होती हैं।
मां देवी के वस्त्र धवलयुक्त होने के साथ-साथ इनके दायें हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अत्यंत फल देने वाला होता है।
देवी ब्रह्मचारिणी
दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
इस दिन आप देवी मां दुर्गा को मनाने के लिए इस मंत्र का जाप अवश्य रूप से करें।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
आज के दिन आप इनकी पूजा पूरे विधि विधान से करें और इस मंत्र का जाप अवश्य रूप से करें। हर घर में नौ दिनों तक सुख शांति की प्राप्ति के लिए सुबह शाम पूजा स्थान पर घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके अलावा आरती करने के साथ दुर्गा चालिसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। आपके सभी कष्टों को हरने वाली वाली मां अवश्य रूप से आपका कल्याण करेगी।नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना
इस दिन आप देवी मां दुर्गा को मनाने के लिए इस मंत्र का जाप अवश्य रूप से करें।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
Devanagari Name - ब्रह्मचारिणी
Favourite Flower - Jasmine (चमेली)
Mantra -
Prarthana -
Stuti -
Dhyana -
Stotra -
Kavacha -
Aarti - जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सरल संसारा॥
जय गायत्री वेद की माता। जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥
कमी कोई रहने ना पाए। उसकी विरति रहे ठिकाने॥
जो तेरी महिमा को जाने। रद्रक्षा की माला ले कर॥
जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर। आलस छोड़ करे गुणगाना॥
माँ तुम उसको सुख पहुँचाना। ब्रह्मचारिणी तेरो नाम॥
पूर्ण करो सब मेरे काम। भक्त तेरे चरणों का पुजारी॥
रखना लाज मेरी महता
।दुसरे नवरात्री माता रानी आप को दे
शांति
शक्ति
सम्पति
स्वरुप
संयम
सादगी
सफलता
समृद्धि
संस्कार
स्वास्थ
सम्मान
सरस्वती
और
स्नेह …
शुभ नवरात्री
She took birth as a daughter of Himalaya & was married to Lord Shiva. She penance hardly to gain Lord Shiva in that she ate only fruits & roots for 1000 yrs. , 100 yrs. she ate only veg. & some days without eating under the open sky bearing rain & heat. After that 3000 yrs. she ate leaves fallen on land & atleast for thousands of yrs. without eating even leaves she penance so she was called 'Aparna'.
देवी ब्रह्मचारिणी
दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
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Navratri Day 2
2
मां दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी जिसका दिव्य स्वरूप व्यक्ति के भीतर सात्विक वृत्तियों के अभिवर्दन को प्रेरित करता है। मां ब्रह्मचारिणी को सभी विधाओं का ज्ञाता माना जाता है। मां के इस रूप की आराधना से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार व संयम जैसे गुणों वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली। मां के इस दिव्य स्वरूप का पूजन करने मात्र से ही भक्तों में आलस्य, अंहकार, लोभ, असत्य, स्वार्थपरता व ईष्र्या जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर होती हैं।
मां देवी के वस्त्र धवलयुक्त होने के साथ-साथ इनके दायें हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अत्यंत फल देने वाला होता है।
देवी ब्रह्मचारिणी
दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
इस दिन आप देवी मां दुर्गा को मनाने के लिए इस मंत्र का जाप अवश्य रूप से करें।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
आज के दिन आप इनकी पूजा पूरे विधि विधान से करें और इस मंत्र का जाप अवश्य रूप से करें। हर घर में नौ दिनों तक सुख शांति की प्राप्ति के लिए सुबह शाम पूजा स्थान पर घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके अलावा आरती करने के साथ दुर्गा चालिसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। आपके सभी कष्टों को हरने वाली वाली मां अवश्य रूप से आपका कल्याण करेगी।नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना
इस दिन आप देवी मां दुर्गा को मनाने के लिए इस मंत्र का जाप अवश्य रूप से करें।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
Devanagari Name - ब्रह्मचारिणी
Favourite Flower - Jasmine (चमेली)
Mantra -
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
Om Devi Brahmacharinyai Namah॥
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
Dadhana Kara Padmabhyamakshamala Kamandalu।
Devi Prasidatu Mayi Brahmacharinyanuttama॥
Devi Prasidatu Mayi Brahmacharinyanuttama॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Brahmacharini Rupena Samsthita।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥
परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥
परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
Vande Vanchhitalabhaya Chandrardhakritashekharam।
Japamala Kamandalu Dhara Brahmacharini Shubham॥
Gauravarna Swadhishthanasthita Dwitiya Durga Trinetram।
Dhawala Paridhana Brahmarupa Pushpalankara Bhushitam॥
Parama Vandana Pallavaradharam Kanta Kapola Pina।
Payodharam Kamaniya Lavanayam Smeramukhi Nimnanabhi Nitambanim॥
Japamala Kamandalu Dhara Brahmacharini Shubham॥
Gauravarna Swadhishthanasthita Dwitiya Durga Trinetram।
Dhawala Paridhana Brahmarupa Pushpalankara Bhushitam॥
Parama Vandana Pallavaradharam Kanta Kapola Pina।
Payodharam Kamaniya Lavanayam Smeramukhi Nimnanabhi Nitambanim॥
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
Tapashcharini Tvamhi Tapatraya Nivaranim।
Brahmarupadhara Brahmacharini Pranamamyaham॥
Shankarapriya Tvamhi Bhukti-Mukti Dayini।
Shantida Jnanada Brahmacharini Pranamamyaham॥
Brahmarupadhara Brahmacharini Pranamamyaham॥
Shankarapriya Tvamhi Bhukti-Mukti Dayini।
Shantida Jnanada Brahmacharini Pranamamyaham॥
त्रिपुरा में हृदयम् पातु ललाटे पातु शङ्करभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।
Tripura Mein Hridayam Patu Lalate Patu Shankarabhamini।
Arpana Sadapatu Netro, Ardhari Cha Kapolo॥
Panchadashi Kanthe Patu Madhyadeshe Patu Maheshwari॥
Shodashi Sadapatu Nabho Griho Cha Padayo।
Anga Pratyanga Satata Patu Brahmacharini।
Arpana Sadapatu Netro, Ardhari Cha Kapolo॥
Panchadashi Kanthe Patu Madhyadeshe Patu Maheshwari॥
Shodashi Sadapatu Nabho Griho Cha Padayo।
Anga Pratyanga Satata Patu Brahmacharini।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सरल संसारा॥
जय गायत्री वेद की माता। जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥
कमी कोई रहने ना पाए। उसकी विरति रहे ठिकाने॥
जो तेरी महिमा को जाने। रद्रक्षा की माला ले कर॥
जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर। आलस छोड़ करे गुणगाना॥
माँ तुम उसको सुख पहुँचाना। ब्रह्मचारिणी तेरो नाम॥
पूर्ण करो सब मेरे काम। भक्त तेरे चरणों का पुजारी॥
रखना लाज मेरी महता
।दुसरे नवरात्री माता रानी आप को दे
शांति
शक्ति
सम्पति
स्वरुप
संयम
सादगी
सफलता
समृद्धि
संस्कार
स्वास्थ
सम्मान
सरस्वती
और
स्नेह …
शुभ नवरात्री
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