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Monday, April 23, 2018

JANAKI STUTHI (जानकी स्तुति - भयी प्रगट कुमारी)(Ram bhajan .72)

JANAKI STUTHI (जानकी स्तुति - भयी प्रगट कुमारी)(Ram bhajan .72)

https://youtu.be/nxrkdlX_yo4

श्रीजानकी जी की स्तुति,स्रोत्र

श्रीजानकी जी की स्तुति(तुलसीदास रचित)
भई प्रगट कुमारी भूमि-विदारी जन हितकारी भयहारी।
अतुलित छबि भारी मुनि-मनहारी जनकदुलारी सुकुमारी।।

सुन्दर सिंहासन तेहिं पर आसन कोटि हुताशन द्युतिकारी।
सिर छत्र बिराजै सखि संग भ्राजै निज -निज कारज करधारी।।

 सुर सिद्ध सुजाना हनै निशाना चढ़े बिमाना समुदाई।
बरषहिं बहुफूला मंगल मूला अनुकूला सिय गुन गाई।।

  देखहिं सब ठाढ़े लोचन गाढ़ें सुख बाढ़े उर अधिकाई।
अस्तुति मुनि करहीं आनन्द भरहीं पायन्ह परहीं हरषाई ।।

ऋषि नारद आये नाम सुनाये सुनि सुख पाये नृप ज्ञानी।
सीता अस नामा पूरन कामा सब सुखधामा गुन खानी।।

 सिय सन मुनिराई विनय सुनाई सतय सुहाई मृदुबानी।
 लालनि तन लीजै चरित सुकीजै यह सुख दीजै नृपरानी।।

 सुनि मुनिबर बानी सिय मुसकानी लीला ठानी सुखदाई।
सोवत जनु जागीं रोवन लागीं नृप बड़भागी उर लाई।।

 दम्पति अनुरागेउ प्रेम सुपागेउ यह सुख लायउँ मनलाई।
अस्तुति सिय केरी प्रेमलतेरी बरनि सुचेरी सिर नाई।।

 दोहा- निज इच्छा मखभूमि ते प्रगट भईं सिय आय।
          चरित किये पावन परम बरधन मोद निकाय।।


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