Followers

Sunday, April 29, 2018

HARI DAS KELILILA(11to 20)(Haridas bhajan.3)

HARI DAS KELILILA(11to 20)(Haridas bhajan.3)










KELILILA 11 to 20

HARI DAS KELILILA11 to 20 (Haridas bhajan.


पद --11--बात तो कहत कहि गयी , अब कठिन परि बिहारी प्राण तों नौं हि ने तन अस्त , विस्त भए कहय कहा प्यारी भाँवते की प्रकृति देखत जू , श्रम भयो बहुत हिया री श्री हरि दास के स्वामी स्यामा बाहू सौं बाहू मिलाये रहे मुख निहारी 
. अर्थ =पद..11===यद्यपि युग युगांतर से बिहारी बिहारिनी जी परस्पर मिलते चले आ रहे हैं , फिर भी उनकों मिलन की छट पटी लगी रहती है .निकुंज के बाहर तो लाल जी को तीनो लोकों में पूजा जाता है किन्तु निकुजों में स्यामा जू का ही राज्य चलता है .निकुंज महल में दोनों लाडली जू वा लाल जी अपने सिंहासन पैर बैठी हुयी हैबिहारी जू की बात पर लाडली जू हंसी जा रही हैं .उनकी बात पर जैसे विश्वास ही नही कर रही .उनकी दीनता वा आतुरता पर हंसती जा रही हैं .तब श्री हरिदासी सखी प्यारी जू से बोली -------------- अहो , प्यारी जू.. तुम आँखें मूँद के मंद मंद मुस्कुरा क्यों रही हो ?इनकी बात पर क्यूँ विश्वास नही कर रही हो ?.देखो तो बिहारी जू कितने परेशान हो रहे हैं .,,,हो प्रिया जू,,तुम इनकी दशा तो देखो ! इनके प्राण तो जैसे है ही नही ...इनको अपनी कोइ सुध बुध नही है . अब तुम क्या कहती हो ? यह सूनकर प्रिया जू को भारी श्रम हुआ की उन के कारण भाँवते को इतना कष्ट सहना पड़ा . श्री हरिदास के स्वामी स्यामा स्याम को गले लगा कर उनकी ओर निहारने लगीं . भोले से बिहारी जी अति प्रसन्न हुए और दोनों की फिर से बात शुरू हुई .श्री हरिदासी वहाँ बैठी उनको देख कर संतुष्ट हो गयी . स्यामा स्याम की जय ....श्री हरिदास
 11. Baat tho kaihat khai abb katthin pari Bihari------In the nikunj both are chatting with each other Radhaji seems to be in a very mischievious mood . She is going on laughing unbelieving to what Bihariji is saying. Infact she s making fun of his anxiety for her. Bihariji is obviously unhappy over this and looks at sakhi Haridasi for convincing her. Lalita sakhi who had incarnated as Haridas ji was watching this action of Biharaniji and as usual wanted to pacify her to be more attentive to Bihriji and said Oh Biharaniji you have closed your eyes and you don’t believe a word what Lalji is saying.You are smiling so sarcastly why don’t you believe what he is saying. Just look at him he is so upset and seems to be lifeless . He is not himself and seems to be sensless What do you say? Do you want him to be broken ? When Ladliji heard this she was touched by her action towards Lalji and felt bad that she had been the cause for making Bihariji so miserable. Quickly she came and hugged him lovingly and both were happy.

पद --12=कुञ्ज बिहारी हौं तेरी बलाई , लेऊँ नीके हौं गावत......राग रागनी के जुथ उपजावत, तैसे तैसी मिली जोरी.....प्रिया जू कौं मुख देखत चंद लजावत.....श्री हरि दास के स्वामी स्यामा कौं.....नृत्य देखत काही न भावत ...
 .पद 12 का अर्थ --पद--१२ ,,अर्थ -- आज निकुंज महल की शोभा कैसी कमनीय है , जिस का वर्णन ही नही किया जा सकता .शीतल , मंद ,सुगंध वायु से सारा बातावरण छाया हुआ है .मोर वा कोयल की मीठी ध्वनि चारों ओर से सुनाई दे रही है .निकट एक सुन्दर सरोवर के निर्मल जल में हंस अठखेलियाँ कर रहे हैं .धरती पर चन्द्रमा की शीतल चांदनी छिटक रही है .आज लाडली जी अति प्रसन्न दिखाई दे रही हैं .बिहारी जी से प्रेम से बतरा रही हैं .कुञ्ज बिहारी जू से बोली ---- हो कुञ्ज बिहारी जू तुम्हारी मैं बलिहारी जाती हूँ . तुम कितना सुन्दर गाते हो और विहार करते हो .लाल जू अति प्रसन्न होके बोले == हे लाडली जू मैंने कुञ्ज बिहारी नाम आप की कृपा से ही पाया हैआप इसी प्रकार से बोला करो और गाया करो .आप का मेरे प्रति जो स्नेह है उसके कारण अनेक मनोरथों के झुण्ड उपजते हैं .मेरे लिए यह सुख अपार है .सखी हरि दासी जो यह वार्तालाप वहीं सुन रहीं थी बोली --तुम दोनों की जोरी एक समान है .दोनों के मुख चन्द्रमा समान है . प्रिया जू को और लाल जू को दोनों मुख -चन्द्रमा देखते है , और प्रिया जू के मुख -चन्द्रमा के आगे लाल जू के मुख चन्द्र लजावते हैं .यानी प्यारी जू के अंग आगे पिया जू के अंग डूब जाते हैं .श्री हरि दास जी कहते हैं की दोनों में से किस का नृत्य विशेष है ?पिया को तो प्यारी जू का ही नृत्य भाँता है .यह वचन सुन कर बिहारी जी अति प्रसन्न हुए और बोले = - मैं बलिहारी जाऊं .आप की कृपा से प्यारी जू कृपा कर के नृत्य करे तो हमें क्यों नही भावेगा ?बहुत अच्छा लगेगा .श्री हरि दास..
 12. kunj Bihari hon teri balaai-------- In the nikunj both the couple are sitting together and Bihariniji seems to be in a good mood . At this juncture Bihariji says to Priyaji oh my most beloved piyaari we both are residends of this nikunj and keep on enjoying each others company since ages I pray to you that we continue for ever our pastimes and you keep on showering your love and kindness on me . It is due to you that I got the name kunj Bihari. Your love for me and my love for you is immeasurable .There is vibrating tones of music which enrich our love for each other..Every time I feel a new pleasure in your company .When Bihariji looks at the faceof Bihariniji even the moon feels ashamed if any one tries to compare her beauty with it. Sakhi Haridasi who was present there and listening to them smiled and commented ‘ both of you are equal in beauty I cannot say who is more beautiful than the other. She further commented that Biharniji is expert in dancing and Bihariji loves to watch her dancing because it suits her slender figure and each part of her body is so beautiful hence it is natural that Bihariji will love to watch her dancing He took her balaaia and thanked her for being so kind to him by showing her dance performance.
पद ---13,,-एक समय एकांत वन में , करत सिंगार परस्पर दोई वे उनके वे उनके प्रतिबिम्ब , देखत रहत परस्पर भोई ऐसे नीके आजू बने ऐसे कबहूँ न बने , आरसी सब झूठी परी कैसी एब कोइ श्री हरिदास के स्वामी स्यामा रीझी परस्पर प्रीति नोई ....
 अर्थ -पद =13---- आहा आहा ! सखियों आज तो लाडली जू का श्रृंगार बिहारी जी अपने कर कमलों द्वारा कर रहे हैं . श्रृंगार की सामग्री कितनी अच्छी प्रकार से रखी हुई है कि एक एक सौंज दिखाई दे रही है.....अरगजा ,इत्र, कस्तूरी , से सराबोर हुए बिहारी जी कितने आतुर लग रहे हैं . आस पास देखो तो कैसे फूल झूम रहे हैं . उनके आस पास भ्रमर मीठे मीठे गीत गुनगुना रहे हैं . दोनों एक दुसरे को इस तरह देख रहे हैं जैसे पहली बार देख रहे हों... पिया का प्रतिबिम्ब रूप हार मानो प्यारी जू ने पहना हुआ है , और पिया के उर में मानो प्यारी जू का प्रतिबिम्ब शोभा दे रहा है . आज तो दोनों एकांत ही वन में श्रृंगार का सामान ले कर निकल गये . केवल हरिदासी सखी ही संग गई हुई हैं और देख कर उनकी शोभा का वर्णन कर रही हैं ..हरिदासी जी के वचन इस प्रकार है - एक बार दोनों एकांत वन में सखियों से बच निकले और एक दुसरे का श्रृंगार करने लगे वे एक दुसरे के प्रतिबिम्ब को देख कर खुश हो रहे हैं . दोनों के अंग अंग हिल मिल के एक रूप हो गये,,आज के श्रृंगार और दिनों से विपरीत ही है .यह श्रृंगार परस्पर देखत ऐसे बने बैठे हैं जैसे कभी नही बने की इनकी आरसी (शीशे की अंगूठी ) भी झूठी पड़ गयी . श्री हरि दास जी के स्वामी स्यामा जी कहते हैं की बिहारी जी तो बिना मोल बिक गए और लाडली जू पिया के श्रृंगार में रीझ गयी . दोनों की प्रीति अंग अंग में मिल कर एक हो गए .,,,,सखी आज तो सभी उपमा झूठी पड़ गयी हैं ,इनके समान त्रिभुवन में कोइ इतना खूबसूरत नही हुआ है ना ही होगा . सखी आशीष देती है की इनकी प्रीति नवीन बनी रहे . इस प्रकार जब बिहारी जी ने बिहारिनी जू का नख से शिख तक का सोलह श्रिंगार किया तब प्रिया जू ने लाल जी को प्रेम से देखा . यह देखकर लाल जी के सभी अंग चंचल हो गए . फिर ऐसा खेल रचा की रस ही रस से खेलने लगा .
 13. ekk same ekant vana me------ On one occasion the divine couple had gone to ghewar vana . When they reached the deep woods Bihariniji was tierd and could not go further. They stopped near a kadamb tree and opened up the make up box which contained altta, sindur, bindi. Jewelry etc. The necklace of both of them were studded with gems which acted as mirrors for both of them to see their reflection.. What a lovely sight it was to see them watching themselves in the mirrors of each others ornaments. Lalita sakhi is watching them doing each others make up and how they are enjoying watching each other. Both are feeling that they have never looked so beautiful ever before. Today the shringaar is very different from other days. The mirriors studded in the ring gems is not showing the real picture of the couple. Swami shri Haridas ji says that Lalji on seeing such beauty of Ladliji was so stunned that he was ready to be sold in her hand.. On the other hand Ladliji too was stunned to see Lalji who was also looking so lovely. Both of them could not contain themselves and were soon embraced in each others arms.
पद 14---राधे चली री हरि बोलत कोकिला अलापत सुर देत पंछी राग बन्यो . जहां मोर काछ बांधी नृत्य करत , मेघ मृदंग बजावत बंधान गन्यौ प्रकृति की कौं नाहीं यातें सुरति के ,उनमान गहि हौं आई मैं जन्यौ . श्री हरि दास के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी की अट पटी बानि औरे कहत कछु औरे भन्यौ.............
अर्थ --पद =14....सुन्दर निकुंज धाम जहां निरंतर आनंद रस छलकता रहता है , इस रस में दोनों बिहारी जी वा बिहारिनी जू रस में छकि रहें हैं . आज प्रियतम गुप्त से प्रिया जू को मिलना चाहतें हैं .....इतने में कोकिला की आवाज़ सुनाई दी जो ऐसे सुर में गा रही थी मानो पपीहा पिया - पिया की रट लगा रहा हो ...लाडली जू तो मगन हो रही थी परन्तु लाल जी व्याकुल हो रहे थे . तब एक सखी ने प्यारी जू को सावधान करना चाहा और बोली ---- हे श्री प्रिया जू तुम्हे कुञ्ज बिहारी बुला रहें हैं . वह बोल रहे है राधे जू चलो हमारे साथ . देखो तो कैसे कोकिला अलाप रही है मानो व्याकुल पपीहा तुम्हारे अधर अमृत रस स्वाति की एक बूंद चाहता है .,वह इतने व्याकुल हैं कि तुम्हारे रूप रस में लीन हो गयें हों . मानो तुम्हारे स्नेह की मूर्ति बन गए हैं ...चारों ओर मोर और मध्य में बावरों मोर नृत्य कर रहे हैं ....वो मोर बिहारी जी ही हैं . आप की रूप माधुरी को देख कर बिहारी जू रुपी मोर के रोम रोम नृत्य कर रहें हैं और यह मेघ स्याम अंग अंग मिल कर मृदंग बजा रहे हैं.. तुम्हारी बंधान यानी ताल , तुम्हारे और इनके मन को बाँध रहें हैं . श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कहतें हैं की यह अट पटी वाणी कुछ और ही कह रही है,,जो भी हो प्यारी !==हमें तों यह भान हो रहा है की हमारे मिलन मैं यह आनंद की चाल है...... श्री हरिदास .
 14 Radha chaal ree Hari bolat kokila alaapaat------ In the transcendal grooves of the divine Vrindavan known as nikujmahal the divine pair were enjoying the highest form of love. The sakhi’s too are seated around them trying their best to please them by doing services like singing, playing the sitar, fanning the couple etc. Suddenly Biharii wanted some privacy and makes a jesture to Bihariniji to go out of the nikunj into the woods where the koel is singing in her magical koohoo koohoo tone . Now the tune changed to that of a papiha. Radha ji was so engrossed in listening to the tunes of the birds that she over looked Lalji’s jestures to come out. On seeing this situation Haridasi who could not bear to see Lalji in sucha despair adressed her and says Ladliji please come out of your meditation abd pay attention to wha Lal ji wants .He is going on and on repeating your name and is begging you to go to the deep nikunj where the nightingale is singing priya priya. Lalji is desperate to go there wih you and it seems he has become a statue in your love. He is imagining as though he is surrounded by peacocks all around him and he is dancing along with their steps in full ecastcy. Whenever he glances at your utmost beautiful face his every part is dancing with joy . The clouds are making a lovely thundrous sound as they are playing the mridang along with the rythem of the dance.Radhaji you have completely bounded him with your love. Haridasiji was so concerned that she almost gave it off to Radhaji and orded her to show some compassion towards him and go with him whereever he wants to go. Radha ji who respects Lalita sakhi could not disobey. Besides she realised that she was being a little harsh in her behaviour so she agreed and held his hand lovngly and both went towards the outer nikunj.
पद --15 ,तेरो मग जोवत लाल बिहारी ,तेरी समाधि अजहूँ नहि छुटत.......चाहत नाहिं ने नेकु निहारी ,औचक आई द्वै कर सौं कर मूंदे नैन अरबराई उठी चिहारी .....श्री हरिदास के स्वामी स्यामा ढूढत वन में पाई प्रिया दिहारी. .
पद 15 का अर्थ ,,,,स्वामी श्री हरिदास जी जो ललिता रूप में बिहारी बिहारिनि जी की सभी लीलाओं का सृजन करती हैं ,,,,,वह अपने लाडले वा लाडली जू के साथ दिन दिन लाड़ लड़ाते रहते हैं इनका आधार हीं उनके विहार को देखना है ,,इसी उज्जवल रस की लीला माधुरी का वह पान करती रहती हैं ,,,,,,,,,,एक समय लाडली जू बिहारी जी को भाव नहीं दे रही थीं ,,सखियों के संग हीं वार्तालाप कर रहीं थीं ,,,,,,तभी एक सखी आई और बोली ===हे प्यारी राधे जू !आपका बिहारी जी मार्ग जोह रहे हैं ,,बहुत इंतजार करने के बाद ,उन्होंने हमें आदेश दिया है कि आपको बुलाकर लाएं ,,इसलिए प्यारी जू चलो ..आप इस तरह मान नहीं करा करो .......लाल जी तुम्हारे ध्यान में मग्न हैं ....आपकी कृपालुता का मार्ग जोवत हैं ....वह तो आपके ध्यान में समाधि में लीन हैं ,कि इधर उधर भी नहीं निहारना चाहते ,,,,,,,हे सखी ,अपना मान ,अयान ,सयान ,तजी के लाल जी के पास चलो ..जब सखी ने प्रिया जू को यह वचन बोले तो ,अचानक कुञ्ज बिहारी जी के पास चली गई और अपने कोमल करों के द्वारा उनके दोनों नैनो को मूंद लिया ...............उनके कोमल हाथों के लगते हीं बिहारी जी हड़बड़ाये से उठे और बोले --कौन है ??.क्या ये प्यारी जू हैं ?..तब प्रिया जू मुस्कुराईं और हँसकर उनको सुखी किया ,,,,उनका चन्द्रमा जैसा मुख आनंद से प्रसन्न हो गया और प्रेम में दोनों श्यामा श्याम मिल गए ...श्री हरिदास जी के स्वामी श्यामा को ढूंढते तन रुपी वन में हीं प्यारी जू को मिले ..यह सुख देख कर अति प्रसन्न हुए ...श्री हरिदास ..15. tero mugg jowat lal bihari-------- once Ladliji was puffed up with Bihariji and Lalji was trying his best to bring her out of that mood so that both could enjoy the keli leela. A sakhi who noticed this situation intervens and reminds Ladliji Oh pyiari ju look at Lalji he is waiting for you to talk to him. When wil you show your mercy to him ? It seems he is in deep meditation and his eyes are closed as if he has no desire to look here and there. Radhaji, now it is high time you shed away your puffed up mood and go give him solace. On hearing this Ladlii as if was woken from a deep sleep suddenly got up and covered Bihariji’s eyes with her fragile hands..At this Bihariji got a shock because it was too sudden and he had not expected it at all. He just uttered ‘Is it you pyaari?’ Radha ji was very happy at this and started giving him joy by holding his hands and were soon in their favourite pose in the embrce position. Swami shri Haridas ji says may the divine pair always be engrossed in their such pastimes and the sakhi’s go on getting this opportunity too watch their divine leela. So that teir life also becomes worthwhile.
.
.पद--16 ===मानिं तूब चलि री संग रहेवो कीजै ......तौं कीजे जो बिन देख जीजै....ये स्याम घन तुम् दामिनी प्रेम पुंज वर्षा रस पीजै....श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी सौं .हिलि मिलि रंग लीजै.......................
. अर्थ --16,निकुंज महल में अनुपम जोरी सुन्दर सेज पर विराजमान हैं ..सब सखियाँ इस रस का नित्य पान करती हैं ,,,जो उनका आहार हो गया है ,,,,,बिहारी जी हीं इनका जीवन हैं ,..श्री हरिदास रस -रीति में वास्तव में मान है ही नहीं ,,,,,,केवल रस का उपासक है ,मान का तो केवल भ्रम हो जाता है ,,यह अनुपम जोरी अति हीं सुकुमारी ,सरस -रसीली ,चितवन युक्त और मंधुर अति मधुर है ,,इनकी प्रीति दृढ है और बिहारी जी को कई बार यह भान होता है कि किशोरी जू उनसे रुठीं हुईं हैं ,,.बात करते करते जब अचानक वह चुप हो जाती हैं ,तब लाल जी यह समझते हैं कि इनको मान हो गया है ..जब् कि प्रिया जू अपनी हीं ख्यालों में डूब जाती हैं ...यहाँ इस पद में भी ऐसा हीं हुआ ......यह श्याम घन प्यारी दामिनी के अंक में मिलना चाहते हैं ,परन्तु दामिनी तो अनूठी हैं .....अपना स्वभाव प्रकाशित कर रही हैं ..और मान करती हुईं प्रतीत हो रहीं हैं ..,,,,,तब सखी हरिदासी बोली====राधा जू सुनो ! आपने अपने कमल रुपी नैन बाँके क्यों किये हुए हैं ?....उनको सीधा करो और बिहारी जी के साथ चलो ...तुम् दोनों तो रस कि खान हो ...अतः तुम् हमेशा संग संग रहा करो ....जब तुम् मान करती हो ,तब कुञ्ज बिहारी जी ,कितने दुखी हो जाते हैं ...इस बात का आपको क्या भाँ भी है ?...............उनके बिना कुछ कहे बोले या कहे हीं ,मुझे मालुम चल जाता है कि वह तुम्हारे मिलन कि चाह कि आशा लगाये हुए हैं ......परन्तु तुम्हें इस बात की समझ हीं नहीं है ...तुम् दोनों तो प्रेम की पुंज हो.. तुम्हारे अंग अंग मिलके हीं तो प्रेम की वर्षा करते हैं ,,आप वही रस का अनुभव करो ,उसे चखो ,,अपनी हठ और जिद को छोड़ दो ....अपने मन में विचार करो कि क्या यह तुम् ठीक कर रही हो ..??...श्री हरिदास जी के स्वामी श्यामा कहते हैं ,,,,तुम् कुञ्ज बिहारी से घुल मिल कर रहो और एक हो जाओ .....आपस में नैनों को नैनो से मिलाओ ,अंग से अंग निलाकर प्यारे जू को सुखी करो ,,,यह सुख से उनपर आपकी अति कृपा होगी ,एक ही सुख लाल जी को भावै.सो प्यारे को रुचे ..उनका मनोरथ पूर्ण कीजिये ,,,,,,श्री हरिदास..
 16. maani tub chaali ree ek sang raso keeje----- on one occasion Bihariniji was in one of her off moods and was not talking to lalji who felt very upset and miserable. A sakhi was watching very closely and intervened and asked her Oh Ladli ji why is your gaze looking at a blank place. You seem to be so annoyed without any reason. Please calm down and straighten your gaze at Bihriji who is waitng for you to be in your pleasant mood. He is known as Raas Bihari because he is always keen to enjoy your nectoral love Both of you are made for each other. You must understand Bihariji’s feelings for you. Both of you are
like a cloud and lightening bound to each other and cannot be seperated even for a second. Don’t be obstinate and go and enjoy keli with Bihariji.

VANSHI OF KAHNA----kanha’s vanshi or muralia is so melodious that it enchants not only the damsels or gopi’s of vrindavan but even the trees of vrindavan, the goverdhan hill, the waters of the rivers, the kunds and the ponds.The true devotees completely forget whatever they are doing the moment the melodious voice of vanshi enters their ears.They at once come in the samdhi state and the pleasure they get is undescriable in words. Those who saw Krishna at that moment experinced the blue coloured beauty of Krishna’s oval face which can be compared to a blue lotus flower with beautiful eyes like a khanjan bird whose eyes are oval shaped and big. The humming bees who are buzzing all around him mistake his eyes for a flower full of nector His beautiful nose is if such a lovely shape and is capable of killig millions of cupids as well as Kaamdev the god of love. His red lips are of the colour of sindur and his arms resemble a newely formed branch f a tamaal tree. The vats mark on his chest which was made by Bhrigujee looks s like a line drawn by the lightening in the midst of blue clouds. This tune of kanha’s vanshi can be heard in the 84 kos of brij bhoomi. If one is keen to hear this vanshi just sit down quietly ,first keep on watching your breathing from the nostrals and concentrate on the middle of theforehead where we apply tilak go on practicing for years and years without loosing your patience and one day you will defintely hear the vanshi of Kanha. Only, the will should be strong and true.
Listen to the enchanting tune of Kanha’s flute. In the rythem of this magical tune Bihariji is all out to dance in the raas with our beloved Radhaji in the nikunj mahal Every where the divine nikunj is decorated by the divine creepers who are so thrilled to be a witness of this divine raas of Raas Bihari. All the sakhi,s are singing the glories of the divine pair.The enchanting tune of the flute is so magical that river yamuna ji has stopped flowing. The coloured lotus flowers are at a stand still and look like stautes The beauty of Vrindavan has increased many many times more. There is no limit to the absolute bliss of the creepers and he trees of Vrindavan The peacocks, saras, the swans , nightengales and other birds of Vrindavan are so much enchanted that they have forgotton themselves and their own sweet voices in he midst of Kanah,s flute. The flowers too are swingig to the tune of the vanshi in the midst of such an environment. Swami Sri Hari das ji enters and tells the other sakhi,s friends come and enjoy this auspicious moment which enchants every living and non living being. At that moment Radha ji request Bihariji to give her the flute and tries to play it but all in vain because it can play oly Radhe Radhy and nothing else.
..पद ==17 ,,,,तू रिस छाड़ी रे राधे राधे .....ज्यौं ज्यौं तोकों गहरूँ त्यों त्यों मोको बिठा रे साधे साधे......प्रानिन कौं पोषत है री तेरे वचन सुनीयत आधे आधे ,,श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी ,,,तेरी प्रीति बाँधे बाँधे ,,,...............
 .अर्थ ---17 --नवीन प्रीति कुञ्ज में लाल जी नित्य राधे जू के आधीन रहते हैं ,,,राधे जू मानिनी बनी रहती हैं,,सुन्दर रूप सेजिया पर दोनों बैठे हुए हैं ,चारों तरफ सखियों से घिरे हुए सेवित हो रहें हैं ,,हमारे बाँकेबिहारी जी वा बिहारिनि जू,इतने में अचानक एक चुप्पी होने से सखियाँ इशारे से एक दूसरे को पूछने लगी कि क्या हुआ ?राधा जू क्यों बिहारी जी से बात नहीं कर रहीं हैं ?तब हरिदासी सखी राधा जी को संकेत करके बोली ---अहो प्यारी राधे ,तुम् रूठना छोड़[[रीस छोड़ ]] दो और लाल जी से खुशी खुशी बात करो ....आप अचानक क्यों रूठ जाती हो ?.रूठने कि बात[रीस तो तब करो ]] तो तब करो ,यदि आपके कोई अधीन हो ..ज्यों ज्यों तुम् ढील करती हो .त्यों त्यों श्याम जी व्याकुल हो जाते हैं ,,..इनकी पीड़ा बढ़ जाती है ..मैं इनको बहुत धीरज देती हूँ कि तुम् चिंता नहीं करो ...राधा जी ,अभी ठीक हो जाएँगी ,और तुम्हें बहुत सुख देंगी ,,,परन्तु यह विवश हो जाते हैं और आपके ध्यान में लीन हो जाते हैं ,,आप कृपा करके सावधान हो जाओ ,,प्यारी जू मैं सच कहती हूँ कि ..तुम् जल हो तो बिहारी जी उस जल के मीन हैं ...आप उनसे बात नहीं करोगी तो उनका दम घुटने लगेगा ,,क्या तुम्हें फिर अच्छा लगेगा ?..हे प्रिया जू तुम्हारे आधे आधे वचन सुनकर ,मैं हीं उनके प्राणों को पोषित कर रही हूँ,,मैं बार बार आपसे याचना कर रही हूँ कि अपना गर्व त्याग दो और उन्हें अंग से लगा कर सुखी करो ..श्री हरिदास के स्वामी श्यामा कुञ्ज बिहारी को तेरी प्रीति ने बाँध रखा है ,,वह तुम्हारे हीं ध्यान में हैं कि कब तुम् रूठना छोड़ कर [रीस को त्याग कर ]]उन्हें सुखी करोगी ,,,,श्री हरिदास
 17------tu rees chjaadin re radhe radhe-------the divine pair is seated on a beautiful seat in the nikunj mahal and Bihariniji is as usual puffed up and is ignoring Bihariji who is pleading before her to cheer up her mood.. Sakhi shri hari dasiji who always keeps a close look at the situation adresses Radha ji and tells her Radhe why are you always annoyed with Lalji without any reason or any fault of his. When you behave in such a mood lal ji feels very anxious and miserable. He is hurt when you ignore him. Though I convince him that Radha ji will be normal soon but he pays no heed to my words and closes his eyes and starts meditation of you. Please make him happy by talking to him and smiling at him. He seems to be a fish out of the water. Don,t delay any further and come and embrace him so that he can enjoy keli with you.
पद ==18 ==आज तृण टूटत है री ललित त्रिभंगी पर ......चरण चरण पर मुरली अधर धरें ...चितवनि बाँक छबिलि भू पर ...,चलहूँ न बेगि राधिका पिय पें ....जो भयौ चाहत हौं सर्वोपर ....श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कों समयों जब नीकौं बन्यौ हिलि मिलि केलि अटल रति भइ धू पर .........................अर्थ --पद-18 ---छबीले कुञ्ज में दोनों ललित त्रिभंगी लाल जी वा प्यारी जू आनंद से बैठे हुए बतरा [बात कर ]रहे हैं ..आज तो लाडली जू अति प्रसन्न दिख रही हैं ,,,परम कृपालु बिहारी जी ,,से बोलीं ===हो बिहारी जू ,,आज हम दोनों अपना वेश बदलते है .मैं बिहारी जू बन जाती हूँ और आप राधा का रूप धर लो आनंद आएगा ..तब प्यारी जू पिया बने ,,त्रिभंगी यानी तीनों जगह से टेढ़े औए झुके हुए ,,बिहारी जू को यह सुझाव बढ़िया लगा ...दोनों ने अपना वेश पलट लिया ,,,उनका महा सुन्दर वेश देख कर सखियाँ अति प्रसन्न हुई,,वह उनको निहारे हीं जा रहीं थीं और बार बार उन पर बलिहारी जाती हैं .उनको नजर ना लग जाये ,तो सखियों ने एक तृण यानी तिनका तोड़ा...और बोली ==हे राधे जू ,,हे,बिहारी जू ..आप का सौंदर्य देखकर तो कामदेव जी भी लजा जायेंगे ,,आपको किसी की बुरी नजर न लग जाये ......जब प्यारी जू तीन जगह से बांकी होहो गयीं ...और बिहारी जी प्यारी जू बन गए तो ,वह नवीन दुल्हन की तरह मान करने लगे ,,अब लाल जी आतुर हो गए और विहार करते करते उनके चरण लाडली जू पर धर गए ...इस भांति दोनों ने केलि का सुख अनुभव किया ...प्यारी जू से बोले ----हो प्रिया जू ,आप बेगि चलो तुम्हारे अंग अंग में जो मनोरथ भरे हैं ,उनको मिला कर विहार कीजिये....हरिदास जी के स्वामी श्यामा अब निको बन गए .यानी कितने अदभुत वा सुन्दर दिख रहे हैं ..अलि,,ये तो नित्य अटल है .परन्तु आज तौकिं केलि तो पलटी गई है ..आज प्रिया जू की चाहत के अनुसार केलि का आनंद लिया दोनों ने ..सखियाँ तो देखती हीं रह गई की आज जैसा आनंद तो अत्यंत ही विचित्र था ,जो की बहुत मनमोहक था ..श्री हरिदास
 18.aaju trin tutat hae re lalit tribhangi paar------------- once Radha ji was in a very jovial mood and told Bihariji today I will become tribhangi ie crooked from three areas that is I will take your place and become Bihariji and you become Radhaji.. Today let us exchange our shringaar Both agreed and exchanged their attire Radha ji was in Bihariji,s dress and vice versa. The sakhis were overjoyed to see such a beautifu sight when both placed their foot on the other, murli on their lips, Radha ji was banki and today she led Bihariji who was in Radha ji,s attire to come out of the nikunj. They both enjoyed ths keli leela Haridasi who was watching this leela was so enchanted by their dance and love for each other and prayed no bad omen should ever happen with them and blessed them and said balihaari jaaun aapke.
पद=19 ==दिन डफ ताल बजावत गावत भरत छिन छिन होरी ....अति सुकुमार वदन श्रम बरसत .भले मिले रसिक किसोर किसोरी ..बातिन बतबतात राग रंग रमि रह्यो वा इत उत् चाहिं चलत तकि खोरी ..सुनी हरिदास तमाल स्याम सौं लता लपटि कंचन की थोरी...........................
.अर्थ --19==आज तो सखियों के उर में अदभुत आनंद छा रहा है ..निकुंज में बिहारी बिहारिनि एक दूसरे के संग विहार करते हुए ,अंग अंग में रंग छिड़क रहे हैं,,,,,,,बिहारी जी ,प्रिया जू के नैन कटाक्ष पर निरन्तररस रंग पिचकारी मार रहे हैं ..दोनों सूरत रस -रंग में भीजे [भींगे ]हुए ,सभी सखियों के तन मन को शीतल कर रहे हैं अबीर .गुलाल ,अरगजा की कीच मची हुई है...पूरा आकाश भी लाल ,कभी हरा .कभी पीला .कई रंगों से भर जाता है ...किसी को यह नहीं मालूम हो रहा कि कौन हार रहा है और कौन जीत रहा है ...ऐसा भान हो रहा है कि आनंद कि वर्षा हो रही है ..श्यामा श्याम प्रेम के उमंग में ,नवीन भावों से बात करते हुए चाव से होली खेल रहे हैं ,,हम्बे .नाहीं नाहीं ,हाँ जैसे शब्दों का प्रयोग बीच बीच में हो रहा है ..एक ही स्नेह में दोनों मग्न हैं .,,कपोलों पर रंग लगाते हुए ,वह सँकरी गली में चले जाते हैं ,,श्री हरिदासी देख देख कर प्रसन्न चित से ,यह दृश्य देख कर ..निज मन से [मन ही मन ]कि आज तो स्याम तमाल ऐसा लग रहा है ..मानो लता से लिपट गया हो और उसके अंग अंग में समा गया हो .,तो बिहारी बिहारिनी.को देखकर कि ऐसा हीं लगता है ,,और सखी के आनंद रुपी उर में विहार कर रहे हों ,ऐसा लगता है ............................ होली खेलते हुए श्याम कुञ्ज बिहारी की छवि का बखान किसी प्रकार से कोई भी नहीं कर सकता ,उनके अंग अंग से रंग छलछला रहा है ,,जिससे उनका तन मन प्राण ,रस होली में भीज [भींग] रहे हैं ..श्री हरिदास.19. din duff taal bajaavat gaavat----------- In the month of phagun ieFeb-March hoil is played in the nikunj also. Here the divine couple are applying gulal at each other and are dancing to the rythem of the daffli. Both are so delicate that one can observe how tierd they look. Both are walking arms in arms and are walking in a very special way just as people walk during the holi season. They are getting new ideas of expressing their love for each other. Both are laughing like naughty children while smearing each other with gulal and have dissapeared in the narrow lane known as ghewar vana. Haridasi says both are clinging on to each other in such a way as a climber clings to a trunk of a tamaal tree.Hari dasi sakhi is delighted to see the pair in such a loving mood.
.पद--20 ==द्वै लर मोतिन की एक पूंजा पोत कौं सादा ..नेत्रन दृष्टि लागौ जिनि मेरी .हाथिन चारि चारि चूरी पाँइन इकसार चूरा चौंप हलु एकटक रहे हरि हेरी .....एक तो मरगजी सारी तौ तें कंचुकी न्यारी ,अरु अँचरा की बायीं गति मोरि उरसनी फेरि ...श्री हरिदास के श्यामा कुञ्ज बिहारी या रस हीं बस भै हेरे हेरे सरकनि नेरी. .
अर्थ --पद--20...निकुंज में सुगन्धित गुलाब के फूलों की महक छाई हुई है , बिहारी जी और बिहारिनि जू इसमें मग्न गलबांही दिए बैठे शोभायमान हो रहे हैं ..अति सुन्दर कलियों की सेज पर प्रिया जू वा बिहारी जी ने कंठ में सुन्दर माला और बाजु में अति सुन्दर कंगन पहने हुए है ,बीच बीच में फूलों का सुन्दर श्रृंगार .किया हुआ है ,.साथ में हरिदासी सखी उन्हें देख देख कर आनंदित हो रही है ,वह भी सुन्दर फूलों के आसन पर विराजमान ,दोनों के साथ लाड़ लड़ा रही हैं ,वह बोली=देखो तो पिया की दोनों भुजाएँ श्री प्रिया जू के गले में ऐसी लग रही है कि जैसे दो मोतियों कि लड़ियाँ हों ,और कुँवरी जू के कंठ में कुँवर जी कि भुजाएँ मानो माला हीं शोभित हो रही हैं ,,..देखो तो सखियों कुँवर जी के नेत्रों में इतना अंजन भरा हुआ है ,मानों कि प्यारी जू को किसी की नजर ना लग जाये .....हाथों में चार चार चूडियाँ यानि पिया ने अपने हाथो से प्यारी जू के हाथ पकड़े तो उनके हाथों की अँगुलियों के निशान चूडियों की तरह बन गए हों ,,,और देखो जरा ,बिहारी जी के चरण राधा जू के चरण के ऊपर पड़े तो उसकी परछाईं ऐसी लग रही है यानी की आसन है ,,,,,,,,यह शोभा देख कर हरिदासी सखी एकटकी लगाकर देखती रही और प्रसन्न चित्त हुई मुस्कुराती हीं जा रही है ,श्री हरिदास जी के स्वामी श्यामा ,यह शोभा देखकर महा आतुर हो रहे हैं ,प्यारी जू की रूचि के अनुसार श्याम जी उनको सुख वा आनंद में भिगो रहे हैं ...श्री हरिदास ,
 20. doe larhi motin ki ek punj------------
In the nikunj mahal which is decrated with scented flowers like mogra, rose rajnigandha etc . Both are wearing a garland of mogra flowers and are wearing lovely braclets (kangan) on their wrists. One sakhi was so thrilled to see thier beauty that she uttered oh sakhi haridasi just look
How beautiful they are looking seated on an equally beautifully decorated seat decorated withso many varieties of flowers . Their scent is spreading everywhere giving a fabulous aroma and since both ae in such a good mood and are talking to each other giving loving smiles It gives me great pleasure and satisfaction At this Hari dasi replied yes sakhi just see the pair carefully. Lal ji has placed his arms on Priaji,s shoulder and neck It looks as though two pearl necklaces are placed on Priyaji,s neck.. Look at shree ji,s eyes . She has put so much kaajal so that their today,s joy is not spoilt by some bad omen. The bangles worn by Ladliji are looking as though Lalji is holding her wrist. And its finger impressions have been pressed on her wrist. Just see Ladliji,s foot it looks as if Lalji has pressed his foot on hers and it has become like a seat. This beauty is so stunning that even Lalji can not take his eyes off from Ladliji. Swami Hari das ji who is a witness to all this says oh my beloved Kunj Bihari and kunj Bihariniji how thrilled I am to see u in this posture.


(Cortesy:ASHA BHARDWAJ)

No comments:

Post a Comment