Followers

Sunday, April 29, 2018

HARIDAS KELILILA (21 to 30)(Haridas bhajan 4)

HARIDAS KELILILA (21 to 30)(Haridas bhajan 4)













पद --21जोवन रंग रँगीली सोने से गात ..धरारे नैना कंठ पोत मखतूलि.............अंग अंग अनंग झलकत सोहत कानिन दीरें....सोभा देत देखत हीं बने फिरैं जों सी फूली ,,,तनसुख सारी लाही अंगिया अतलस अतरौता....छवि चारि चारि चुरी,,पहूँचिन पहुँचि खमकी बनि...नकफूल जेब मुख बीरा...चौक कौंधेइ समभ्रम भूलि ऐसि नित्य बिहारिनि सेइ बिहारी लाल संग अति आधीन आतुर लटपटात जियु तरु तमाल..कुञ्ज महल हरिदासी जोरी सुरति हिंडोरे झूली .... अर्थ पद-21 ...नवल रँगीली अदभुत कुञ्ज ,जहां सहज हीं फूलों की रचना से सुन्दर सेज ती शोभायमान हो रहा है ,,,उस सेज पर श्री हरिदासी जी की लाडली जोरी श्री बिहारी जी बिहारिनि जू झूला झूल रहे हैं ..यह सुख हरिदासी जी सुन्दर फूलों का श्रृंगार किये और सखियों के संग देख कर अति प्रसन्न हो रहे हैं ..वह उन सखियों से कह रही हैं ====सखी ,,आज तो निकुंज में अदभुत सुख जो कि आनंदित करनेवाला है ,बह रहा है ,यानी कि बरस रहा है ..नए नए भावों का रंग से जिस अंग में रँगीली ,एक अनुराग ही की मूर्ति बनि हुई है ..द्रवित होने वाले नैनों में रंग भरा है ,कंठ में कल मुख मुलि,या रेशमी फंदा ,,,जो की श्याम जी की बाजु है .कितना फब रहा है .अंग अंग अनंग झलकते हुए कानों के कुंडल कैसे शोभा दे रहे हैं ,,,यानि की दोनों मेंमिलन की चाह झलक रही हो ,,प्यारी जू के अंग पिया जू के अंगों को शोभा दे रहें हैं ..यह शोभा तो देखते ही बनती है ,,,...सखी ,,देखो तो ! चांदनी में चाँदनी सी फूल रही है ,,यहाँ तो फूल हीं फूल की बात जाने ,,,.प्रिया जू का फूलदार कपड़ा वा मल मल साड़ी और लाल रंग की अंगिया कैसी प्रकाशमान हो रही है .?? प्रीतम ने प्रिया जू को ऐसे रखा है बिहारी जी की अँगुलियाँ बिहारिनि जू कि हाथों कि चार चार चूडियाँ बन गई हैं ...उनके नाक से जो साँस आ रही है ,मानों फूलों की अति सुन्दर सुगंध हों ,,मुख बीज यानी पान का बीड़ा हो ..आगे चार दातों की पंक्तियाँ जो बिजली की भांति चमक रहे हों उनकी चाह मानों बरसते हुए बादल ...जे सखियों देखो तो ,बिहारी जू बिहारिनिजू केली में इतने मगन हैं कि उनमे उमंग और उत्साह झलक रही है .,करोड़ों कामदेव भी प्यारी जू के एक रोम की चाह पर वार डालूँ.....जरा देखो तो दोनों का अस्थिर हो जाना .मोहित हो जाना ,,इत्यादि ऐसा लग रहा है कि तरु तमाल पै कंचन कि बेली लिपट रही है ...अहो हरिदासी जू !यह दोनों के अंग अंगिन कि जोरी सुरति के हिंडोरे में कैसे अंग अंग मिलाकर झूलते हुए अलौकिक लग रहे हैं ..श्री हरिदास ..
 21..----jowan rang rangini sone se gaat---------------In the beautifully decorated nikunj the couple were seated on a throne decorated with all variety if flowers which were givinga pleasant sweet scent . Haridasi ju was full of pleasure in seeing the two swinging on the jhoola. She adressed the other sakhi’s who were also watching them and said , sakhi’s just look at the unique kelli of today. It seems, that pleaure is coming in the form of rain. I can feel new experience of colurful youth in the couple. Radha ji seems to be a beautiful sculpted goddess of love. Her eyes are so enchanting as though filled with multicolours. The black velvet like necklace which is actually the arm of shyam sundar is looking so beautiful. The dress made out of flowers that biharniju is wearing is glittering so well and shyam sundar ji is fingers are tightly holding shyama’s wrist that they have left marks on the wrist, it seems that she is wearing bangles. The breathing coming from Bihariji seems like a scented flower. The paan which he is chewing looks like clouds and his front teeth are looking like lightening. Both are so much engrosses in their kelli leela that it seems thata golden creeper is covering the trunk of a tree. Indeed they are looking so unique and enchanting.

पद --२२ --राधे दुलारि मान तजि ..प्रान पायो जात है री सजि......अपनौं हाथ मेरे माथे धरि....अभे दान दे आजि,,,,,श्री हरिदास के स्वामी स्याम कहत री प्यारी रंग रूचि सौं बलि लजि.................... ............22==पद =२२ ...का अर्थ ==मनोहर निकुंज में दोनों आनंद में मग्न नयी सेज पर विराजमान हैं ,,इतना में लाल जी को एक बार फिर से भान हुआ कि प्रिया जू मान कर रही हैं ..तब वह उनसे बोले --हे राधे ,,तुम् दुलारी हो .मान को तज दो ,,क्योकि मुझे तुम्हारी गर्व भरी चितवन से डर लगता है ,,,,हे ,प्यारी! ,मुझसे हठ मत करो .,तुम् मेरे मनाने पर भी क्यों नहीं मानती ??तुम्हारी प्रसन्नता पर हीं मेरे प्राण जीतें हैं ,,तुम्हें महा प्रसन्न देख कर हीं मेरे प्राण पुष्ट होते हैं .,आपके समान तीनों लोक में कोई नहीं है .और ना तुम्हारे जैसे गुणों वाली है ,ना ही रूप वाली ,ना ही निपुण ,मैंने देखी है ना ही सुनी है ,पाताल लोक तो तुम्हारे चरण हैं ,भूलोक मध्य भाग ,[हिय कमल ]सुरलोक --उपर आपका कमल जैसा मुख !....मैं आपकी कृपा से मोहन कहलाता हूँ .परन्तु मैं आपकी बराबरी किसी प्रकार नहीं कर सकता ...........श्यामसुन्दर जी कहते है -----हे प्यारी जू ! तुम्हारी भी तो केलि रूचि है !...,मैं बलिहारी जाता हूँ कि आप खुशी खुशी प्रसन्नता से मेरे संग विहार किया करो .. हरिदासी सखी ,जो ये वार्तालाप सुन रही थी ,बोली --हो प्यारी जू !यह प्यारे तो तुम्हारे हित में क्षण क्षण तुम्हारे में हीं चित्त को लगाये रहते हैं ..तुम् बिना कोई दोष हीं क्यों मान करती हो ?यह वचन सुनकर राधे जू को अपनी गलती का भान हुआ और वह बिहारी जी से बोलीं----पता नहीं मुझे क्या हो जाता है ,अनजाने में आपको दुःख दिया है ,,आगे से सावधान रहूंगी ,,इस प्रकार बिहारी जी को प्रिय वचन बोलकर उनको प्रसन्न किया ,यह युगल सरकार एक बार फिर से आनंद से सखियों से घिरे हुए ,केलि लीला में व्यस्त हो गए ,,श्री हरिदास ,,
22------Radhe dulaari maan taji--------In the beautiful nikunj the duo is seated and it looks as though Biharniji is puffed up. Bihariji notices that she is looking here and there and tells her oh radhe please don’t be in such a indifferent mood We both belong to the same nikunj and you also like to be in my company,then why do you behave as though you are annoyed with me. I really feel frightened when you turn so obstinate. Why don’t you remain happy with me. I haven’t seen any body so beautiful and full of so many qualities as you in in the three worlds. The pataal lok are your feet, the earth is your lotus like heart and the surya lok is your beautiful face. Although I am called Mohan but I can never compare my self with you. When Shyam Sundar ji was talking like this one sakhi who was also hearing everything made Radha ji realise that what he says is very true and she should get over her mood and play keli leela with him. At once Radha ji as though woken from sleep came and embraced Bihariji and both were in blissful moments. 
पद -23 --गुन की बात राधा आगे कौं जानै.........जो जाने सो कछु उन्हारे ....नृत्य गीत ताल भेदनि के विभेद जानै ..कहन जिते किते देखी झारि....तत्व सुध स्वरुप रेख प्रमान.....जे विग्य सुघर ते पचे भारि......श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी नैक तुम्हारी प्रकृति के अंग अंग और गुनि परे हारि,,........................
....अर्थ =23 =महाविचित्र कुञ्ज जिस में सुन्दर राग रागिनी हमेशा बनी रहती है ,दोनों बिहारी जी बिहारिनि जू सुन्दर सेज पर विराजमान हों बैठे हैं ..श्री हरिदासी जी भी फूलों का श्रृंगार किये फूलों के आसन पर विराजमान हैं ..आज तो फूलों के महल में निकुंज मंदिर आनंद से फूल रहा है ,,प्रिया जू और लाल जी ,ग्रीष्म के फूलों से सजे बहुत मोहक लग रहे हैं ,उनका हाव भाव सब कुसुमन[फूल जैसे ]हीं हो गए हैं ,,उनकी हर वस्तु फूलों से सजी हुई देखाई दे रही है..आज तो फूलों का हीं श्रृंगार भी किया है ,,,चाँदनी,पर्दा,तकिया.बिछौना.सेज डोरी आदि सब सुमनों से ही सजाई गई है ,,पूरा निकुंज महल महक रहा है ,शीतल मंद सुगंध पवन झोंका दे रहा है हरिदासी एकटकी लगाये ,इन दोनों को निहारती हुई ,राधा जी को संकेत करते हुए बोली====राधे प्यारी !तुमसे ज्यादा गुणों की बात कोई नहीं जानता...यदि जानते हैं तो बिहारी जी जानते हैं ,क्योकि वह आपसे ही तो यह गुन सीखें हैं ,,आपके गुणों का मुकाबला कौन कर सकता है ? कुञ्ज बिहारी भी जो कछु जानते हैं ,वह आपकी समानता हीं कर सकते हैं ,आप के अंग अंग में करोड़ों भाव आते हैं और आपके ताल या नाच के शब्द की ध्वनि और फुर्ती से ताल में ताल मिलाना ,यह सब नटनागर आपसे हीं तो सीखते हैं.अंग अंग की जरी ,चतुराई ,सुघराई ,उजराई.और कौन कौन से गुणों का वर्णन करूँ ??, आपसे बढकर और कोई अधिक कुशल नहीं या चतुर नहीं ,तुम् धन्य हो . श्री हरिदास के स्वामी, हो श्यामा !यह कुञ्ज बिहारी भले हीं विश्व का पालन करने वाले हों ,परन्तु यह टहल तो आपकी कृपा से हीं है ,,विश्व में तो आपका हीं प्रताप भरा पूरा है ...श्री हरिदास
 23------guun ki baat radhe tere aage ko jaane-----In the beautiful nikunj when all the sahchari’s were watching prya, pritam resting on a throne decorated by flowers , one sakhi tells another: oh Ladliji only kunj bihariji knows your skills and talents and no body else, because he has learnt them from you. It is only who can have millions of high bhav which no one can even think of. The way you dance does not match with any one. How fast your steps move with the rythem of the music.Nat Naagar bihariji who himself is known as the reatest dancer has learnt this art from you. You are talented in so many ways that I am unable to decide which ones should I mention.You are really superb and great. Swami sri Hari das ji says that although bihariji is known as the supreme sustainer of the whole universe, Ladli ji is indeed much above him. It is due to her full kripa on bihariji that he is known as the Lord of the universe.
पद ==24..सुघर भये हों बिहारी याही छाँह तें .....जे जे गति सुघर सुर जानपन्यों की .....ते ते याही बांह तें ..हुते तों अधिक बड़े सब ही तें ...पे इनकी कस न कहतात यह तें ...श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी जकि रहे चाह तैं....
.सुन्दर निकुंज महल में दोनों बिहारी बिहारिनि जू फूलों के सेज पर बैठे हुए है .क्षण क्षण में लाडली जू मानिनी वा गर्वीली हो जाती हैं ,,जिससे बिहारी जी आतुर हो जाते है ,और हरिदासी की ओर देखकर निवेदन करना चाह रहे हैं कि इनको कुछ समझाओ कि यह मुझसे रूठे नहीं .........हरिदासी जू राधा जू को कहती हैं ===अहो प्यारी जू !यह बिहारी जी कितने सुघर हैं ,यानी सुन्दर हैं .चतुर वा कुशल हैं ....वह इतने कुशल केवल इसलिए है क्योकि आप कीउनपर अति कृपा है ,,,,देखो तों बेचारे तुम्हे मिलने के लिए कितने छटपटा रहे हैं और एक तुम् हो जो यह बात को समझ हीं नहीं रही हो ,जब देखो मान कर बैठती हो ,,वह दीन होकर कभी चरण पड़ कर आपको मनाते हैं .,कभी कभी नैनो को छूते हैं और केवल आपकी कृपा की एक कोर ही तों चाहते है ...अतः तुम् अपना मान त्याग कर उनसे बात करो ..और उन्हें सुखी करो ...श्री हरिदास जी के स्वामी श्यामा यह तों आप के नाम की रट लगाए रहते हैं ..आप इनकी चाह को शीघ्र पूरा करो ...श्री हरिदास..
 24-----Sudhar bhyo ho bihari yahi chhan te----In the nikunj like usually Ladliji is again in one of her puffed up moods. Sakhi sri haridasi who is Lalita sakhi in the nikunj s also seated before them. When she notices kishotiji’s swollen face she utters the following words; “ Ladliji Bihariji is so perfect in so many skills beauty, inteligene. Infact he is an all rounder . All this is due to your kripa or blessings. See how miserable he is looking just because you have turned your face on the other side.He is trying to pacify you to calm down. See how he has kept your lotus feet on his knees .All he wants is your kripa so please change your mood and look t him with your compassion. May Kunj Bihari always continues to be with you in your keli leela.”
पद==25===पद===राधा रसिक कुञ्ज बिहारी कहत जू हो ....न कहू ग्यो सुनि सुनि राधे ,तेरि सौं मोहि न पत्यौ तौ संग हरिदासी हुति....बुजि देखि भतौ कहि धौ कहा भयौ मेरी सौं ......प्यारी तोहि गत्तोंद न प्रतीति छांड़ीं छिया....जानि इतनीब अरी सौं गहि लपटाई रहे छैल दौ , छाति सौं छाति लगाये फेरा फेरि सौं ..अर्थ---
-25==कुञ्ज बिहारी जी निकुंज में राधा जू के संग बात के रहे थे ,,,राधा जी से बोले ===राधा जू !मैं तुम्हारी शपथ लेकर कहता हूँ कि तुम् बहुत चतुर और भोली हो ..तुम्हारे साथ आज तक जो भी केलि विलास किये ,वह तुम्हारे सम्पूर्ण छवि औरतुम्हारे विहार कि शोभा ,मेरे हृदय में परछाईं की तरह सदा के लिए बस गई है ..मैं आपके चरण पड़ता हूँ कि तुम् मुझसे रूठा नहीं करो ,,,हरिदासी जी तों तुम्हारे संग हमेशा रहती हैं .तुम् उनसे पूछ लो ,कि क्या मैंने कभी भी अदभुत खेल खेला है ? तुम्हें मेरी शपथ है ,बताओ तों जरा ....................तब श्री हरिदासी सखी ने राधा जू को समझाया की प्यारी जू तुम् तों श्यामसुन्दर जी की नित्य दुल्हिन हो ......प्रिया जू प्यारे की तरफ देखो जो दीन हो कर तुम्हें मना रहे हैं ,,वह कह रहे हैं कि मेरा तों मन तुम्हारे एक रोम पर वारी है ..उनका तों मन हमेशा तुम् में हीं लगा रहता है ......श्री हरिदास जी के वचन सुनकर ,राधा जू का भ्रम दूर हो गया और लाडली जू ने लाल जी को आलिंगन कर गले लगा लिया और विहार करने लगे ...श्री हरिदास
 25------Radha rasik kunj bihari kehath ju----- In the nikunj Kunj Bihari tells Radha ji “Radha ji I wow upon you that you are so innocent and intelligent. It is you only who has initiated me into the keli leela How ever you want to perform the keli, I simply follow you. I am just like your shadow of you lovely body. I bow
at your feet and always pray that yu are in a good cheerful mood always and don’t get puffed up.Haridasi sakhi is always with us.You ask her what I have done to spoil your mood.” Hari dasi sakhi intervened and said Ladliji I am a witness to the fact that what Lalji is sayng is correct. What happens to your moods ? Why do you forget that you are the divine bride of kunj bihariji ? Just see his miserable condition you have put him in. Now cheer up and make him happy by your kripa. Radha ji who herself could not be puffed up or long smiled loveingly at bihariji and then the due were again talkng and laughing in the nikunj mahal.
पद ==26 ==प्यारी तेरि महिमा वरनि न जाय ,,,जेहि आलस काम बस कौं ताकौं दंड हमे लागत है री भय आधीन,,,,,,साढ़े ग्यारह ज्यों औंटी दूजे नव सत साजि सहज ही तामै जवादी कर्पूर कस्तूरी कुम् कुम् के रंग भीन..श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी रस बस करि लीन .......
. अर्थ ---26 -----स्वामी श्री हरिदास जी की रस रीति में श्यामा श्याम कुंजबिहारी जी की अनुपम जोरी का वर्णन कोई नहीं कर सकता ,कहने को तो दोनों के दो दिव्य तन हैं ,परन्तु इनके प्राण तो एक हीं हैं ,,इनकी सुन्दर छवि तो महा प्रेम सुख का सार हीं है हमारी लाडली जू तो सुकुमारी हैं ,वह प्रेम का पूर्ण स्वरूप हैं .बिहारी जी के चकोर जैसे नैन उनको निरखते हुए ,कभी अघाते नहीं है ,लाल जी के प्राणों में लाडली जू सदा वास करती हैं ,दोनों युगल जोरी का नाम .रूप .लीला और धाम अति मधुर है , जो बड़भागी इनके छवि का अवलोकन कर लें .उनके भाग्य पर तो देवी-देवता भी इर्ष्या करते हैं ,,........ऐसे हीं निकुंज में इनकी वार्तालाप चलती रहती है और सखियन देख देख कर बलि बलि जाती हैं ,,,एक समय निकुंज में सखियों से घीरे हुए बिहारी जी को लगा की राधा जू उनको अनदेखा कर रही हैं,,तब लाल जी ,प्यारी जू को यह वचन बोले ==होप्यारी जू !तुम्हारी महिमा का वर्णन तो मैं कर हीं नहीं सकता ,,,आपने तो मुझे अपने वश में किया हुआ है ,आपके साथ विहार करते हुए ,मुझे जितना आनंद आता है ,उसका भी मैं वर्णन नहीं कर सकता ,,हे लाडली जू !आप तो सुकुमारी हो ..आप आलसी क्यों हो गई हो ? आप तो गर्वीली हो ,,तुम्हें क्या मेरे संग रहना पसंद नहीं है ?,तुम्हारे गर्विलेपन से हमें दण्ड भुगतना पड़ता है ,.तुम् तो शुद्ध सोने की तरह सोलह श्रृंगार में ऐसी दिखती हो कि सहज में हीं कपूर ,कस्तूरी और कुम् कुम् की भीनी भीनी खुशबु ओर फैली हुई हैं ,,यह वचन सुनकर बिहारिनि जू बोलीं===प्रियतम ऐसे क्यों कलप रहे हो ?.मैंने कब मान किया है ?तुम् तो मेरे तन मन में हो ,,एक तुम् हीं तो मेरे हो ,,और मैं कहाँ जाऊं ,किसको अपनाऊं ? श्री हरिदास जी के स्वामी श्यामा ने श्यामकुंजबिहारी जी को अपने वश में कर लिया और दोनों केलि लीला में फिर से मगन हो गए ,,एक बार फिर रस में डूब गए ,,,,श्री हरिदास
 26-----Pyari teri mahima varni aa jaaey----In the nikunj mahal Lalji tells Ladliji “Oh Radhaji Ihave no words or vocabullary to to describe your greatness. I am like a mad cupid who is always engrossed in your nectoral , blissful beauty . I need you more than you need me , but you are most of the times in your
puffed up moods.Your madhurya has made me your slave.Swami haridasji says shyamaji has enchanted shyam sunder ji so muc that he has sold him self in her hands. Ladliji on hearingthis looked at bihariji with a slide glance and came near him to assure him that she too loves him equally.
पद ==27----श्रम जल कण नाहि होत,मोती माला कौं देहूँ ........................देखे बहुत अमोल मोल नहि.तन मन धन निछावरि लेहूँ .......रति वो प्रीत प्रीति कौं आलस ,नाहि नायक तेरे मधि ऐहूँ ........श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी प्रीति वर मिले वेहूँ ...... अर्थ --27 ---सुन्दर निकुंज में दोनों बिहारी बिहारिनि जू बैठे हैं ,,संग में हरिदासी सखी उनकी बातों का आनंद लेकर अति सुखी हो रही हैं,,,,,,,,आनंद में श्रम जल कब आई इसका तों उन्हें मालूम हीं नहीं चला ,,,यह जल की बुँदे ऐसी लग रही है ,मानो मोतियों की माला हो ,जो बिहारी जी ने उन्हें प्रीति से पहनाई हो ..इनका तों कोई मोल हीं नहीं ,एक एक मोती की कीमत का अनुमान लगाना संभव नहीं है ,,इनपरतों कुञ्ज बिहारी जी ने अपना तन मन धन सब निछावर कर दिया है ,, श्री हरिदास जी के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी लाल जी की प्रीति से उनके अंगों की छेद की उपमा दी है ,जिसको प्रेम रूप डोरे में उन मोतियन को पिरो कर बिहारी जी ने ,लाडली जू को पहनाई है ,,,श्री हरिदास
 27-------Shrm jal kun baahin, hoth moti mala ko dehu------- Once during keli leela in the nikunj Lalji was sweating . The drps of the sweat looked like small perls around Radhaji’s neck and it seemed that Radha ji was wearing a priceless neckless around her neck. In other wrods Lalji hadgiven his life and soul to Radha ji.Swami Hari das ji says “Lalji has made these pricelss beads out of the pores of his body and then made a mala or necklae out of it for the sake of hislove for Radha ji. Thus bot are earing these priceless mala and are experiencing absolute bliss.
पद ---28 ===नील लाल गौर के ध्यान बैठे कुञ्ज बिहारी .....ज्यूँ ज्यूँ सुख पावत नाहिं, त्यूँ त्यूँ दुख भयो भारि,,,,अरबराइ प्रगट भी जो सुख भयो बहुत हिया री ...श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी करि मनुहारी................../अर्थ --28 ---निकुंज में लाल जी वा [और] लाडली जू अति सुन्दर सेज पर बैठे हैं ,लाडली जू ने विचित्र श्रृंगार किया हुआ है ,,वा [और] बहुत हीं खूबसूरत दिख रहीं हैं ,उनके लुभावने रूप को देखकर ,बिहारी जी ध्यान में बैठे हैं ,,निकुंज में हरिदासी सखी के साथ अनेक और भी सखियाँ यह देख कर आनंदित हो रही हैं तभी एक सखी दूसरी सखी से कहती है ---हे सखी ,,राधा जी कि तों नथ चमक रही है ,,,,देखो आज नथ कि शोभा निराली हीं है ,,उज्जवल गौर नथ के बीच दो मोती ,जिनमें नील मणि गड़ी हुई है ,जिसे देखकर बिहारी जी ,कैसे नथ को निहार रहें हैं......ऐसे लग रहा है ,वह नथ को देख कर विचार कर रहें हैं और ऐसे ध्यान में चित्र ला रहें है ,मानों राधा जू कि नथ ,उनके कपोलन पर थिरकती हुई ,व्यंग भरी हँसी की बात कर रही है ,,...लाल जी यह देखकर सुख नहीं पा रहे .बल्कि दुःख पा रहे हैं कि वह अधरामृत का पान नहीं कर पा रहे .......वह तों राधा जू पर बलिहारी जाते हैं वा [और]हा हा खाते हैं [गुजारिश करते है ]कि राधे जू मुझे सुखी करो और मेरी ओर निहारो.....................प्यारी जू ने उनकी दीनता देखकर उनको सुखी किया ,,,तब वह नथ की पराकाष्ठा आप हीं प्रकट हो गई ..श्री हरिदास जी के स्वामी श्यामा कुञ्ज बिहारी राधा जू को मनाते हुए ,मनुहार करते हैं ..===हे प्यारी ! मेरे मन में नाना प्रकार के मनोरथ का पोषण होता है ,तुम्हें जितना भी मिलूं .मेरी तृप्ति नहीं होती ,,,,,,श्री हरिदास..
 28------ Neel Lal gour ke dhyan bethe kunjbihari------ In the nikunj mahal Radha ji Is looking prettier than ever decked up in full shingar. In her fair complextion her nose ring (nath) is looking grand. There are two priceless beads hanging from the nath which ismoving in vibration like style. It seems that it is studded by neel mani which is a very precios gem. The sakh’s are watching and commenting, “sakhi look at bihariji’s gaze at Radhsji’s nath. It seems that he is imagining that Radhaji’s nath is mocking at him teasingly.Lal ji was not looking pleasedbecause he wanted to come near the nathwali who was ignoing him. However when swami sri haridas ji made Radha realise her his miserable stat of mind she came closer to bihariji and they were again normal as they used to be in the nikunj mahal.
पद =29 ..पद == ===आजु की बानिक प्यारे तेरि प्यारी तुम्हारी वरनि न जाई छवि .....इनके स्यामता तुम्हारी गौरता जैसी सित असित वेनि रहि भवुन्गम ज्यों दबि इनको पीताम्बर तुम्हारो नील निचोल ज्यों ससि कुंदन जेब रवि....श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी की सोभा वरनि न जाये जो मिले रसिक कोटि कवि........................
..अर्थ =पद =29 ===मनोहर निकुंज में दोनों प्रिया प्रियतम अंग अंग सन्मुख हुए सुन्दर आसान पर बैठे हुए हैं......एक सखी दूसरी सखी से कहती है --आज की यह नविन शोभा तों बहुत सुन्दर वा [और]विचित्र है जिसका वर्णन करना असंभव है ,,,हो प्यारी जू !श्याम जी की श्यामता और तुम्हारी गौरता झलक रही है ,जिसके कारण यह बाहर प्रकाशित हो रही है , सफ़ेद और काली वेणी की उपमा देते हुए कहती है ,कि जैसे ,,काली वेणी पर सफ़ेद फूल दीखते हैं वैसे हीं इनके अंग कि गौरता ,ऐसे हीं लिपटे हैं ,बिहारी जी के श्यामता से ..............बिहारी जी का पीताम्बर आपकी नीली साड़ी ऐसे लग रहे हैं ,मानों आपका चन्द्र सा मुखड़ा नीलाम्बर में शोभित है ,,,,,,,श्री हरिदास जी के स्वामी श्यामा कुञ्ज बिहारी दोनों कि शोभा का वर्णन करना बहुत मुश्किल है ,,,इनके ये मनोरथ रूप कोटि कोटि रसिक या महान से महान कवि भी बखान नहीं कर सकते ...हम तों केवल आप दोनों के सुख को देखकर ,अपने नेत्रों को शीतल कर लेतें हैं ..श्री हरिदास
 29------ Aaj ke vanika pyare teri pyaari -----The divine cople as usual is surrownded by sakhi in the nikunj mahal. They are amazed to see their beauty today and one sakhi tells other sakhi’s that todays beauty is unique from other days. The duo are looking fresh and youthful. The dark complexion of bihariji and the fair complexon of Ladliji are lightening each other.They have compared it to a veni which is decorated wih white flowers.
The yellow pitamber yellow robes of Bihariji and the blue sari of Radhaji is compared to the moon in the dark blue sky. The sakhi’s are amazed to see such beauty which is undescrible.Swami sriHari das ji says, There are no words to describe this beauty which even millions of rasiks cannot even describe. The sakhi’s in the nikunj feel they are fortunate to have glimpse of this blisful jori which satifies their heart and soul.
पद ==30====देखि देखि फूल भई ,प्रेम के प्रकास प्रीति के आगे ह्वे जु लई .........सुनु री सखी बागों बन्यो आजु तुम् पर तृण टुटत है जु नई ..............
..श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुञ्ज बिहारी सकल गुन निपुन ता ता थेई ता थेई गति जु थई पद--30 ===फूलन कि सेज पर पिया -प्यारी फूलों के भूषण पहने हुए अति सुन्दर लग रहे हैं ..फूलन ते फूलें दोनों का श्रृंगार अति रुचिकर लग रहा है..श्यामा -श्याम इतने सुकुमार हैं कि उनसे फूलों का भार भी नहीं उठाया जाता ,,इनके तन मन कि उमंग फूलों से कम नहीं है ,,सेजिया में बिछे हुए फूलों कि पंखुड़ियों से इनके कोमल सुकुमार तन में गड़ न जाये ,यह सखियों कि कोशिश है,,,,,वृन्दावन का रोम रोम नवल जोरी को सुखी करने के लिए ,इनकी सुकुमारता के अनुरूप सब सांज तैयार कर के देना चाह रही है ,और कर भी रही है ,,सब ओर से नाना प्रकार के फूलों से निकुंज मंदिर महका हुआ है ...महा आनंद में फूले ना समाते हुए ,फूलों के हीं श्रृंगार किये हरिदासी सखी जी ने ये वचन सखियों को बोले -----सखियों आज तों अंग अंग फुलवारी देख देख कर मैं फुल गई ..अंग अंग में फूल मानो ,प्रेम की प्रकाश लाडली जु कितनी कृपालु हैं ....इनके नैनो की चाह देखकर ,बिहारी जी ने अपनी प्रीति के आगे करके कहा----प्यारी !मेरी पास आ जाओ ........सुन री सखी ,,यह लम्बा वस्त्र जो मैंने लायाहै ,उससे तुम्हे ढक लुंगा ,और ऊपर से यह चंद जो की ओढ़ने का एक खास बंद है ,उसमें तुम्हें बंद करके .यह लाल तों पै बलिहार जाता है .....................हरि दास के स्वामी श्यामा कुञ्ज बिहारी दोनों प्रिया -प्रियतम के पैर [चरण]ता ता थेई ता थेई नाचने लगे ,जैसे की उन्होंने ठाना हुआ था ,,सखियन इस मनमोहिनी झाँकी का दर्शन कर अघाती ना थी ..हरिदासी सखी तों यह देखकर अपनी सारी सुध बुध खो बैठी ,,सखियों ने हीं उन्हें समाधी अवस्था से बाहर निकला .....श्री हरिदास


 30-------dekhi dekhi phool bhaee------ In the nikunj mahal both are decorated with flowers. Hari dasi sakhi is so enchanted by todays shringaar of flowers that she uttered oh seeing them in this attire of flower shringaar I am puffed up (phool gai) The flowers are touching their body . Biharii has brought a cloak like cloth so that they can hide them selves from the other sahi’s.
Swami sri haridas ji says I amso much impressed watching their rythem of dance steps to the rythem of tha tha thai thai.


 (Courtesy:Asha Bhardwaj,)

No comments:

Post a Comment