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Sunday, February 15, 2015

SUVARNAMALASTUTI (siva stotra.12)


SUVARNAMALASTUTI (siva stotra.12)

 https://youtu.be/CwOcPk7ajqA

 

 

 


 


 


सुवर्णमालास्तुतिः
        (श्री शंकराचार्यकृतम्)

अथ कथमपि मद्रसनां त्वद्गुणलेशैर्विशोधयामि विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १ ॥

आखण्डलमदखण्डनपण्डित तण्डुप्रिय चण्डीश विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २ ॥

इभचर्माम्बर शम्बररिपुवपुरपहरणोज्ज्वलनयन विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३ ॥

ईश गिरीश नरेश परेश महेश बिलेशयभूषण विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४ ॥

उमया दिव्यसुमंगलविग्रहयालिंगितवामांग विभॊ ।
साम्ब सदाशिव शंभॊ शंकर शरणं मॆ तव चरणयुगम् ॥ ५ ॥

ऊरीकुरुमामज्ञमनाथं दूरीकुरु मे दुरितं भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ६ ॥

ऋषिवरमानसहंस चराचरजननस्थितिलयकारण ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ७ ॥

ॠक्षाधीशकिरीट महोक्षारूढ विधृतरुद्राक्ष विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ८ ॥

ऌवर्णद्वन्द्वमवृन्तसुकुसुममिवाङ्घ्रौ तवार्पयामि विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ९ ॥

एकं सदिति श्रुत्या त्वमेव सदासीत्युपास्महे मृड भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १० ॥

ऐक्यं स्वभक्तेभ्यो वितरसि विश्वंभरोऽत्र साक्षी भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ११ ॥

ओमिति तव निर्देष्ट्री मायास्माकं मृडोपकर्त्री भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १२ ॥

औदास्यं स्फुटयति विषयेषु दिगम्बरता च तवैव विभो
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १३ ॥

अंतः करणविशुद्धिं भक्तिं च त्वयि सतीं प्रदेहि विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम्!! १४ ॥

अस्तोपाधिसमस्तव्यस्तैर्‌रूपैर्जगन्मयोऽसि विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १५ ॥

करुणावरुणालय मयि दास उदासस्तवोचितॊ न हि भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १६ ॥

खलसहवासं विघटय घटय सतामेव संगमनिशम् ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १७ ॥

गरलं जगदुपकृतये गिलितं भवता समोऽस्ति कोऽत्र विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १८ ॥

घनसारगौरगात्र प्रचुरजटाजूटबद्धगंग विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १९  ॥

ज्ञप्तिः सर्वशरीरेष्वखण्डिता या विभाति सा त्वं भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २० ॥


चपलं मम हृदयकपिं विषयद्रुचरं दृढं बधान विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभॊ शंकर शरणं मॆ तव चरणयुगम् ॥ २१ ॥

छाया स्थाणोरपि तव तापं नमतां हरत्यहो शिव भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २२ ॥

जय कैलासनिवास प्रमथगणाधीश भूसुरार्चित भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २३ ॥

झणुतकझङ्किणुझणुतत्‌किटतकशब्दैर्नटसि महानट भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २४ ॥

ज्ञानं विक्षेपावृतिरहितं कुरु मे गुरुस्त्वमेव विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २५ ॥

टङ्कारस्तव धनुषो दलयति हृदयं द्विषामशनिरिव भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २६ ॥

ठाकृतिरिव तव माया बहिरन्तः शून्यरूपिणी खलु भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २७ ॥

डम्बरमंबुरुहामपि दलयत्यनघं त्वदङ्घ्रियुगलं भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २८ ॥

ढक्काक्षसूत्रशूलद्रुहिणकरोटीसमुल्लसत्कर भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २९ ॥

णाकारगर्भिणी चेच्छुभदा ते शरगतिर्नृणामिह भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३० ॥

तव मन्वतिसंजपतः सद्यस्तरति नरो हि भवाब्धिं भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३१ ॥

थूत्कारस्तस्य मुखे भूयात्ते नाम नास्ति यस्य विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३२ ॥

दयनीयश्च दयालुः कोऽस्ति मदन्यस्त्वदन्य इह वद भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३३ ॥

धर्मस्थापनदक्ष त्र्यक्ष गुरो दक्षयज्ञशिक्षक भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३४ ॥

ननु ताडितोऽसि धनुषा लुब्धक
धिया त्वं पुरा नरेण विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३५ ॥

परिमातुं तव मूर्तिं नालमजस्तत्परात्परोऽसि विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३६ ॥

फलमिह नृतया जनुषस्त्वत्पदसेवा सनातनेश विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३७ ॥
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बलमारोग्यं चायुस्त्वद्गुणरुचितां चिरं प्रदेहि विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३८ ॥

भगवन्‌ भर्ग भयापह भूतपते भूतिभूषिताङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३९ ॥

महिमा तव नहि माति श्रुतिषु हि महीधरात्मजाधव भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४० ॥

यमनियमादिभिरङ्गैर्यमिनो यं हृदये भजन्ति स त्वं भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४१ ॥

रज्जावहिरिव शुक्तौ रजतमिव त्वयि जगति भान्ति विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४२ ॥

लब्ध्वा भवत्प्रसादाच्चक्रं विष्णुरवति लोकमखिलं भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४३ ॥

वसुधातद्धरतच्छयरथमौर्वीशर पराकृतासुर भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४४ ॥

शर्वदेव सर्वोत्तम सर्वद दुर्वृत्तगर्वहरण विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४५ ॥

षड्रिपु षडूर्मि षड्विकारहर सन्मुख षण्मुखजनक विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४६ ॥

सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्मेत्येतल्लक्षणलक्षित भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम्  ॥ ४७ ॥

हाहाहूहूमुखसुरगायकगीतापदानपद्य विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४८ ॥

ळादिर्न हि प्रयोगस्तदन्तमिह मंगलं सदास्तु विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४९ ॥

क्षणमिव दिवसान्नेष्यति त्वत्पदसेवाक्षणोत्सुकः शिव भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ५० ॥
 


        ***

 https://youtu.be/m63XsB9ZuZ0

 


Swarna Mala Sthuthi

(The prayer of golden garland)

 

By

Aadhi Shankara Bhagawat Pada

 

Translated by

 

P.R.Ramachander

 

(The sanskrit original is available in http://sanskritdocuments.org/all_pdf/suvarNamaalaa.pdf. There is also a translation posted by Sri Sai deo in  the Kanchi forum.)

 

1.Isha , Girisha , naresha, paresha , Mahesha , bhileshaya bhooshana bho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Oh God, Oh Lord of the mountain, Oh Lord of  the men ,

Oh greatest God , Oh God of the divine ,

Oh God who wears serpents as ornaments..

 

2.Umaya  divya sumangala  vigraha valingitha vamanga vibho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Oh God who is hugged by the very auspicious divine Parvathi,

Who occupies the left side of  your  body.

 

3.Uri Kuru mama ajnam anadham , duri kuru , may duritham bho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Accept the ignorance of this orphan, and drive away my sufferings.

 

4.Rishi vara manasa hamsa, chara chara janana sthithi , laya karana bho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Oh God who is the swan of the minds  of blessed sages,

And who is the cause of birth , upkeep and death of all beings.

 

4.Antha karana vishudhim bhakthim , cha thwayi sathim pradehi vibho

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Your consort Sathi will grant us purity of mind and devotion towards you.

 

5.Karuna varunalaya mayi dasa udhasasthavochitho  na hi bho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Oh ocean of mercy ,  to you it is not proper to be indifferent to me  who is your slave.

 

6.Jaya Kailasa nivasa , pramatha ganadhisha  bhoo sura architha bho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Victory to one who lives on Kailasa, the Lord of Pramadhas,

And the one who is worshipped by Brahmins.

 

7.Janutha kaja kingkinu jhanuthat  shabdhair natasi maha nata bho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Oh Great dancer who  dances making sounds like Janu , kaja, kinkini  jhanu.

 

8.Dharma sthapana  Daksha  trayaksha  guro  Daksha yajna shikshaka bho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Oh teacher who installs Dharma , who has three eyes,

And who punished Daksha during  the fire sacrifice.

 

8.Balam aarogyam  cha ayus twad ruchithaam chiram pradehi prabho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Please  give me  for  a long time  to come, strength, health  and  long life,

And  mind attracted  to your great qualities, Oh Lord.

 


9.Bhagawan , BHarga bhayapaha bhuta pathe, bhoothi bhooshithanga vibho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Oh God, Oh destroyer of sins, Oh remover of fear,

Oh God who coats all his body with sacred ash.

10.Sarva deva sarvothama,  sarvada durvrutha harana prabho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Oh God who destroys , Oh the greatest among all,

Please destroy the pride of those with bad character.

 

11.Shad  ripu , shadoorumi, shad  vikara hara, San mukha Shanmukha janaka vibho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Oh destroyer of six enemies*, six anxieties** and six changes***,‘

Oh God with good face  , Oh God who is father of Subrahmanya.

*Desire , anger , greed , lust , pride and jealousy

**Thirst, hunger, grief , infatuation , old age and death

***Existence, birth, growth , maturity, decay and death

 

12.Sathyam jnanam , anantham , brahme thyalla lakshana  lakshitha bho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Oh God who is Brahman characterized by truth , consciousness and endlessness

13. Haha hoohoo mukha  sura gayaka  gitapadana padya vibho,

Samba Sadashiva Shambho Sankara sharanam may thava charanayugam,

 

Oh God with Parvathi , Oh ever peaceful one , Oh Source of happiness,

Oh God who is the refuge ,  I surrender  to the pair of your feet,

Whose greatness is praised by celestial singers Haha and Hoohoo

 

Ithi Sri Shankaracharya krutha swarnamalya Sthuthi.

Thus ends the prayer of golden garland written by Aadhi Shankara.

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