Mere To Girdhar Gopal Dusro Na Koi (krishna bhajan.195)
Mere To Girdhar Gopal Dusro Na Koi (krishna bhajan.195)
https://youtu.be/fMdvoMJG6h4
Mere To Giridhar Gopal Dusaro Na Koi
Mere To Girdhar Gopal
Mere to girdhar gopal dusro na koi
Mere to girdhar gopal dusro na koi
Jako sar mor mukat
Jako sar mor mukat mere pati wohi
Jako sar mor mukat mere pati wohi
Mere to girdhar gopal dusro na koi
Koi kahe karo koi kahe goro
Koi kahe karo koi kahe goro
Mero kai anhkiyo khol
Koi kahe halko koi kahe bharo
Koi kahe halko koi kahe bharo
Hiyo hai taraju tol
Mere to girdhar gopal dusro na koi
Mere to girdhar gopal dusro na koi
Koi kahe chhane koi kahe chaene
Koi kahe chhane koi kahe chaene
Miyo hai bajuanta dhol
Tan ka gahna sab kuchh dina
Tan ka gahna sab kuchh dina
Diya hai bajuband khol
Mere to girdhar gopal dusro na koi
Mere to girdhar gopal dusro na koi
Jako sar mor mukat mere pati wohi
Mere to girdhar gopal dusro na koi.
https://youtu.be/Wz0WbKBVaDs
मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो ना कोई
जाके सर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई
कोई कहे कारो,कोई कहे गोरो
लियो है अँखियाँ खोल
कोई कहे हलको,कोई कहे भारो
लियो है तराजू तौल
मेरे तो गिरधर गोपाल
दूसरो ना कोई
कोई कहे छाने,कोई कहे छुवने
लियो है बजन्ता ढोल
तन का गहना मैं सब कुछ दीन्हा
लियो है बाजूबंद खोल
मेरे तो गिरधर गोपाल
दूसरो ना कोई
असुवन जल सींच-सींच प्रेम बेल बोई
अब तो बेल फ़ैल गयी
आनंद फल होई
मेरे तो गिरधर गोपाल
दूसरो ना कोई
तात-मात भ्रात बंधू
आपणो ना कोई
छाड़ गयी कुल की कान
का करीहे कोई?
मेरे तो गिरधर गोपाल
दूसरो ना कोई
चुनरी के किये टोक
ओढली लिए लोई
मोती-मूंगे उतार
बन-माला पोई
मेरे तो गिरधर गोपाल
दूसरो ना कोई
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https://youtu.be/RWgb54Suw-s
https://youtu.be/uYUUtsHF2zY
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
माई री! मैं तो लियो गोविंदो मोल।
कोई कहै छानै, कोई कहै छुपकै, लियो री बजंता ढोल।
कोई कहै मुहंघो, कोई कहै सुहंगो, लियो री तराजू तोल।
कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अमोलिक मोल।
या ही कूं सब जाणत है, लियो री आँखी खोल।
मीरा कूं प्रभु दरसण दीज्यो, पूरब जनम को कोल।
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई
तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई
छांड़ी दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई
संतन ढिग बैठि बैठि लोक लाज खोई
चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई
मोती मूंगे उतार बनमाला पोई
अंसुवन जल सीचि सीचि प्रेम बेलि बोई
अब तो बेल फैल गई आंनद फल होई
दूध की मथनियां बड़े प्रेम से बिलोई
माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई
भगति देखि राजी हुई जगत देखि रोई
दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही
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