Papamochani Ekadasi(Vishnu stotra/Puja.225)
=
Papmochani Ekadashi Vrat
18th
March 2023 / saturday
Time - Ekadashi which comes between Holika Dahan and Chaitra Navratri is known as Papmochani Ekadashi. It falls before Yugadi and it is the last Ekadashi of the year.
Papmochani Ekadashi is observed during Krishna Paksha of Chaitra month according to North Indian Purnimant calendar and Krishna Paksha of Phalguna month according to South Indian Amavasyant calendar. However both North Indian and South Indian observe it on the same day.
पापनाशिनी एकादशी
तिथि और नक्षत्र के योग से बनने वाली एकादशियों मे
पापनाशिनी एकादशी का महत्त्व पूर्ण स्थान है।किसी महीने के शुक्ल पक्ष की
द्वादशी को जब पुष्य नक्षत्र हो तो उसे पापनाशिनी कहा जाता है।
कथा ---- जया आदि तिथि नक्षत्र के योग से बनने वाली एकादशियों की भाँति पापनाशिनी एकादशी का वर्णन भी भगवान महादेव ने ही देवर्षि नारद से किया था।इसकी महत्ता को देखते हुए राजा ककुस्थ ; नहुष ; गाधि आदि ने भी इसका व्रत किया था।उन लोगों को जो ख्याति एवं सिद्धि प्राप्त हुई थी ; उसमे इस पापनाशिनी एकादशी का महनीय योगदान था।
विधि ---- अन्य एकादशियों की भाँति इस एकादशी का भी विधि विधान है।इसमे भी श्रद्धा भक्ति के साथ भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।
माहात्म्य ---- इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह प्रबल पापनाशिनी है।इसका व्रत करने से भगवान पूर्ण सन्तुष्ट हो जाते हैं और अपने भक्त को प्रत्यक्ष दर्शन भी दे देते हैं।इस दिन जो पुण्यकर्म किया जाता है ; उसका अनन्त फल होता है।इस तिथि के सेवन से मनुष्य के सात जन्मों के कायिक ; वाचिक एवं मानसिक पापों का विनाश हो जाता है।अकेले इस एकादशी के व्रत से ही एक सहस्र एकादशियों के व्रत का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है।इस दिन स्नान दान आदि जो किया जाता है ; उसका अक्षय फल होता है।
कथा ---- जया आदि तिथि नक्षत्र के योग से बनने वाली एकादशियों की भाँति पापनाशिनी एकादशी का वर्णन भी भगवान महादेव ने ही देवर्षि नारद से किया था।इसकी महत्ता को देखते हुए राजा ककुस्थ ; नहुष ; गाधि आदि ने भी इसका व्रत किया था।उन लोगों को जो ख्याति एवं सिद्धि प्राप्त हुई थी ; उसमे इस पापनाशिनी एकादशी का महनीय योगदान था।
विधि ---- अन्य एकादशियों की भाँति इस एकादशी का भी विधि विधान है।इसमे भी श्रद्धा भक्ति के साथ भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।
माहात्म्य ---- इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह प्रबल पापनाशिनी है।इसका व्रत करने से भगवान पूर्ण सन्तुष्ट हो जाते हैं और अपने भक्त को प्रत्यक्ष दर्शन भी दे देते हैं।इस दिन जो पुण्यकर्म किया जाता है ; उसका अनन्त फल होता है।इस तिथि के सेवन से मनुष्य के सात जन्मों के कायिक ; वाचिक एवं मानसिक पापों का विनाश हो जाता है।अकेले इस एकादशी के व्रत से ही एक सहस्र एकादशियों के व्रत का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है।इस दिन स्नान दान आदि जो किया जाता है ; उसका अक्षय फल होता है।
Papmochani Ekadashi Vrat
पापमोचिनी एकादशी मुहूर्त एवं पारण समय-Papmochani Ekadashi Muhurat n Paran Time 2023
पापमोचिनी एकादशी : 18 मार्च 2023, शनिवार
चैत्र कृष्ण एकादशी का प्रारंभ- 17 मार्च 2023, शुक्रवार को 02.06 पी एम से
पापमोचिनी एकादशी का समापन- 18 मार्च 2023, शनिवार को 11:13 ए एम पर।
पारण/ व्रत तोड़ने का समय- 19 मार्च 2023, रविवार को 06:27 ए एम से 08:07 ए एम पर।
19 मार्च को द्वादशी का समापन- 08:07 ए एम पर।
18 मार्च 2023 : दिन का चौघड़िया
शुभ- 07.58 ए एम से 09.29 ए एम
चर- 12.29 पी एम से 02.00 पी एम
लाभ- 02.00 पी एम से 03.30 पी एमवार वेला
अमृत- 03.30 पी एम से 05.01 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
लाभ- 06.31 पी एम से 08.00 पी एम
शुभ- 09.30 पी एम से 10.59 पी एम
अमृत- 10.59 पी एम से 19 मार्च 12.29 ए एम तक।
चर- 12.29 ए एम से 19 मार्च 01.58 ए एम तक।
लाभ- 04.57 ए एम से 19 मार्च 06.27 ए एम तक।
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