DEVA-SAYANA EKADASI(Vishnu stotra.208)
https://youtu.be/E2q000FzWa8
https://youtu.be/E2q000FzWa8
- Also known as Padma Ekadasi, Sayana Ekadasi and Ashada-shukla Ekadasi.
Devshayani Ekadashi Vrat
Devshayani Ekadashi Vrat
Devshayani Ekadashi on tuessday, July 10, 2022.sunday.Devshayani Ekadashi on Sunday, June 29, 2023On 30th June, Parana Time - 01:48 PM to 04:36 PMEkadashi Tithi Begins - 0318 AM on June 29, 2023Ekadashi Tithi Ends - 02:42 AM on June30, 2023
Devshayani Ekadashi usually begins days after the Puri Rath Yatra. .
Once,
there was a king named Mandhata, . He was very generous toward his subjects and
was immensely popular among the common men. Moreover, Mandata was very
honest and was engaged in numerous auspicious activities. But, one event
changed the fate of his kingdom. The kingdom received no rains for a
period of three years and this affected the prosperity of the place, to a
large extent. Mandata performed several rites, but could not bring back
the prosperity of his kingdom.
Henceforth,
he set out on a journey when he met several holy men with whom he
discussed his problem. But he could not find any solution from them.
Finally, he met sage Angira, who advised him to follow the Vrat of
Ekadashi in the month of Ashad. Mandata followed his advice and observed
Ashad Ekadashi Vrat with a devout heart. As a result, his kingdom
received heavy rains and the prosperity was regained, after a drought
for three years. Since then, the day of Devshayani Ekadashi came into
being.
Following are the rituals that are to be followed on the day of Devshayani Ekadasi:
- Prayers and hymns are chanted to pacify the souls of deceased forefathers on Devshayani Ekadashi.
- Devotees who observe Devshayani Ekadashi Vrat, abstain from consuming any food item on the day of Ekadashi.
- The fast begins from the day of Dashami, while observing the Vrat devotees are not allowed to consume more than a meal.
- SEE SUNA VESH OF LORD JAGANATH AT PURI ON
- http://rathjatra.nic.in/sunabhesa_2019.html
https://youtu.be/_g2XdV_IY_c
Devshayani Ekadashi Vrat
https://youtu.be/CO1g2LwdwyY
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस वर्ष देवशनी एकादशी 29 june 2023 के दिन मनाई जानी है. इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ भी माना गया है. देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी पद्मनाभा तथा प्रबोधनी के नाम से भी जाना जाता है सभी उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है. इस व्रत को करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, तथा सभी पापों का नाश होता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करने का महतव होता है क्योंकि इसी रात्रि से भगवान का शयन काल आरंभ हो जाता है जिसे चातुर्मास या चौमासा का प्रारंभ भी कहते हैं.
हरिशयनी एकादशी पौराणिक महत्व | Importance of Hari Shayani Ekadashi
देवशयनी या हरिशयनी एकादशी के विषय में पुराणों में विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है जिनके अनुसार इस दिन से भगवान श्री विष्णु चार मास की अवधि तक पाताल लोक में निवास करते है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से श्री विष्णु उस लोक के लिये गमन करते है और इसके पश्चात चार माह के अतंराल बाद सूर्य के तुला राशि में प्रवेश करने पर विष्णु भगवान का शयन समाप्त होता है तथा इस दिन को देवोत्थानी एकादशी का दिन होता है. इन चार माहों में भगवान श्री विष्णु क्षीर सागर की अनंत शय्या पर शयन करते है. इसलिये इन माह अवधियों में कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है.
देवशयनी एकादशी पूजा विधि | Devshayani Ekadashi worship
देवशयनी एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है. दशमी तिथि की रात्रि के भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए. अगले दिन प्रात: काल उठकर देनिका कार्यों से निवृत होकर व्रत का संकल्प करें भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसन पर आसीन कर उनका षोडशोपचार सहित पूजन करना चाहिए. पंचामृत से स्नान करवाकर, तत्पश्चात भगवान की धूप, दीप, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए. भगवान को ताम्बूल, पुंगीफल अर्पित करने के बाद मन्त्र द्वारा स्तुति की जानी चाहिए. इसके अतिरिक्त शास्त्रों में व्रत के जो सामान्य नियम बताये गए है, उनका सख्ती से पालन करना चाहिए.
देवशयनी एकादशी व्रत कथा | Devshayani Ekadashi Fast story
प्रबोधनी एकादशी से संबन्धित एक पौराणिक कथा प्रचलित है. सूर्यवंशी मान्धाता नम का एक राजा था. वह सत्यवादी, महान, प्रतापी और चक्रवती था. वह अपनी प्रजा का पुत्र समान ध्यान रखता है. उसके राज्य में कभी भी अकाल नहीं पडता था. परंतु एक समय राजा के राज्य में अकाल पड गया अत्यन्त दु:खी प्रजा राजा के पास जाकर प्रार्थना करने लगी यह देख दु;खी होते हुए राजा इस कष्ट से मुक्ति पाने का कोई साधन ढूंढने के उद्देश्य से सैनिकों के साथ जंगल की ओर चल दिए घूमते-घूमते वे ब्रह्मा के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंच गयें. राजा ने उनके सम्मुख प्रणाम उन्हें अपनी समस्या बताते हैं. इस पर ऋषि उन्हें एकादशी व्रत करने को कहते हैं. ऋषि के कथन अनुसार राज एकादशी व्रत का पालन करते हैं ओर उन्हें अपने संकट से मुक्ति प्राप्त होती है.
इस व्रत को करने से समस्त रखते वाले व्यक्ति को अपने चित, इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर संयम रखना होता है. एकादशी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है
https://youtu.be/QpJsOrcTBpA
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DEA SAYANI EKADASHI
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